PM आर्थिक सलाहकार समिति का सरकार को सुझाव, असमानता दूर करने के लिए अर्बन मनरेगा और यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम है जरूरी
PMEAC ने कहा कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में लेबर फोर्स की भागीदारी में अंतर है इसलिए शहरी इलाकों के लिए रोजगार गारंटी योजना की दरकार है जिससे सरप्लस उपलब्ध मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.
PM Economic Advisory Council: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति ( Prime Minister Economic Advisory Council) ने सरकार को शहरी इलाकों ( Urban Areas) में बेरोजगारी की समस्या दूर करने ( Unemployment) के लिए मनरेगा ( MANREGA) के तर्ज पर रोजगार गारंटी योजना ( Employment Guaranteed Scheme) शुरू करने, यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम ( Universal Basic Income Scheme) और असमानता ( Inequality) को कम करने के लिए सोशल सेक्टर के लिए ज्यादा फंड आवंटित करने का सुझाव दिया है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति ने असमानता को लेकर Institute for Competitiveness द्वारा तैयार किए गए रिपोर्ट में ये बातें कही हैं. आपको बता दें बिबेक देबरॉय ( Bibek Debroy) आर्थिक सलाहकार समिति के चेयरमैन हैं.
शहरी इलाकों का लिए मनरेगा का सुझाव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल ने कहा है कि ग्रामीण और शहरी इलाकों में लेबर फोर्स के भागीदारी में जो अंतर नजर आ रहा है उसके बाद मनरेगा के तर्ज पर शहरी इलाकों के लिए रोजगार गारंटी योजना शुरू किए जाने की दरकार है जिससे सरप्लस उपलब्ध मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके. काउसिंल ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि न्यूनतम वेतन को बढ़ाने और यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना को शुरू किए जाने से आय में असामनता को दूर करने में सफलता मिलेगी. रिपोर्ट का मकसद सरकार को देश में सामाजिक प्रगति और साझा समृद्धि के लिए सुधार रणनीति और रोडमैप तैयार करने में मदद करना है.
देश में बढ़ रही असामनता
रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 6 से 7 फीसदी इनकम पर देश के टॉप-1 फीसदी लोगों की हिस्सेदारी है. तो एक तिहाई इनकम पर टॉप-10 फीसदी आबादी की हिस्सेदारी है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि शिक्षा हासिल करने में बराबरी के साथ लंबी अवधि के ग्रोथ के लिए नए नौकरी के अवसर पैदा करने से गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उटाने में मदद मिलेगी. साथ ही सरकार को अपने कुल खर्च का एक फीसदी सोशल सर्विसेज के साथ सोशल सेक्टर में खर्च के लिए आवंतित किए जाने की जरुरत है जिससे बेहद गरीब और कमजोर आबादी को अचानक आए किसी झटके से गरीबी की तरफ जाने से रोका जा सके.
देश के 57 फीसदी इनकम पर 10 फीसदी काबिज
इससे पहले World Inequality Report 2022 में भी बढ़ती गरीबी और संभ्रांत लोगों की बढ़ती तादाद के चलते भारत दुनिया के सबसे असमान देशों (Most Unequal Countries) की श्रेणी में शामिल किया जा चुका है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 57 फीसदी इनकम पर देश के टॉप-10 फीसदी लोग काबिज हैं वहीं देश के 22 फीसदी इनकम पर एक फीसदी लोग काबिज हैं. वहीं देश में नीचे से 50 फीसदी लोगों की इनकम में हिस्सेदारी घटकर 13 फीसदी पर जा पहुंची है. ( World Inequality Report 2022) के मुताबिक देश के व्यस्क आबादी का औसत आय 2,04,000 रुपये ( दो लाख चार हजार रुपये) है. वहीं नीचे से 50 फीसदी व्यस्क आबादी का औसत आय केवल 53,610 रुपये है. जबकि ऊपर से 10 फीसदी लोगों की औसत आय नीचे से 20 गुणा ज्यादा 11,66,520 रुपये है. World Inequality Report 2022 ये भी कहती है कि बीते 40 सालों में देश अमीर होते गये हैं लेकिन वहां की सरकारें गरीब होती गई है.
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