मोदी ने तेल उत्पादक देशों को लिया आड़े हाथों, कहा-कीमत तर्कसंगत तरीके से हों तय
ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब की मौजूदगी मे पीएम मोदी ने आगाह किया कि तेल की कीमतों में बनावटी तेजी लाने की कोशिश काफी घातक है.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि तेल उत्पादन करने वाले देश कच्चे तेल की कीमतें तर्कसंगत और जिम्मेदारी पूर्ण तरीके से तय करें. ऐसा होने पर ही सभी को सस्ती उर्जा मुहैया कराना संभव हो सकेगा. मोदी बुधवार को अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा मंच की 16 वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे.
बैठक में दुनिया भर के तेल उत्पादक देशों और खास तौर पर ओपेक के प्रमुख सदस्य सऊदी अरब की मौजूदगी मे मोदी ने आगाह किया कि तेल की कीमतों में बनावटी तेजी लाने की कोशिश काफी घातक है. यहां ये नहीं भूलना चाहिए कि कच्चे तेल के उपभोक्ता बाजार को विस्तार कर रहे हैं. ऐसे में सही तरीके से कीमत तय होना तेल उत्पादक देशों के हित में रहेगा. मोदी का ये बयान ऐसे समय में आया है जब कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गयी है. इसकी वजह से डीजल तो अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर है जबकि पेट्रोल चार साल के उंचे स्तर पर.
मोदी ने कहा कि देश को गरीबों के लिए साफ और सस्ती ऊर्जा तो चाहिए ही, साथ ही इसकी उपलब्धता लगातार बनी रहनी चाहिए. विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की ओऱ से भारत की विकास दर ऊंची रहने के अनुमानों का हवाला देते हुए उन्हने कहा कि जहां विकास दर बढ़ी है, वहीं महंगाई की दर कम रही है. विकास की जरुरतों को देखते हुए अगले दो से पांच साल में देश में भारत में ऊर्जा की मांग सबसे ज्यादा तो होगी, लेकिन खास बात ये होगी कि प्राथमिक ऊर्जा स्रोत के रूप में कोयले की मांग धीरे-धीरे खत्म हो सकती है.
मोदी के मुताबिक, अगले 25 सालों तक भारत में ऊर्जा की खपत 4.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि देश मे ऊर्जा के भविष्य को लेकर उनका नजरिया चार स्तंभों पर टिका है. ये हैं एनर्जी एक्सेस (ऊर्जा तक पहुंच), एनर्जी इफिशियंसी (ऊर्जा की उपयोगिता), एनर्जी सस्टेनेबिलिटी (ऊर्जा की लगातार उपलब्धता) और एनर्जी सिक्योरिटी (ऊर्जा सुरक्षा) हैं. उन्होंने कहा कि ऊनकी सरकार ऊर्जा के एकीकरण में ही नहीं, बल्कि सभी तक ऊर्जा पहुंचाने की सोच में विश्वास रखती है.