देश में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लाई गई पीएलआई स्कीम यानी प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम का दायरा और बढ़ाया जाएगा. सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है. फिलहाल 13 प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम लॉन्च की जा चुकी हैं. ये स्कीमें कोरोना संक्रमण के बाद लॉन्च की गई हैं ताकि मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिले और मैन्यूफैक्चरिंग प्रोडक्शन यूनिटों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिले.


पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगले पांच साल में पीएलआई स्कीम के तहत मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट बढ़ कर 520 अरब डॉलर का हो सकता है. शुक्रवार को एक वेबिनार में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि उद्योगों को इस तरह की स्कीमों में निवेश के लिए काफी प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा ईज ऑफ डुइंग बिजनेस के तहत मल्टी-मॉडल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा ताकि लॉजिस्टिक की लागतें घटाई जा सकें.

पिछले साल दिवाली से पहले मिली थी स्कीम को मंजूरी

सरकार ने पिछले दिवाली से पहले प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम को मंजूरी दे दी थी. पीएलआई स्कीम के तहत केंद्र सरकार अगले पांच साल के दौरान 1.46 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देने जा रही है.मोदी सरकार ऑटोमोबाइल एवं ऑटो कंपोनेंट को 57,000 करोड़ रुपये, फार्मा एंड ड्रग सेक्टर के लिए 15 हजार करोड़ रुपये, टेलीकॉम नेटवर्क एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 12,000 करोड रुपये, टेक्सटाइल एवं फूड प्रोडक्ट्स प्रोडक्ट्स सेक्टर के लिए 10,000 करोड़ रुपये, सोलर फोटोवॉल्टिक सेक्टर के लिए 4500 करोड़ रुपये और टेक्सटाइल सेक्टर के लिए 6300 करोड़ रुपये के पीएलआई की घोषणा की गयी है.

भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने का लक्ष्य

भारत में जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग की हिस्सेदारी सिर्फ 16 फीसदी है. अगर भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनना है तो इसकी हिस्सेदारी बढ़ानी पड़ेगी. भारत में आयात ज्यादा होता है और निर्यात कम होता है. अब तक आयात कम करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास किए गए, लेकिन उसमें ज्यादा सफलता नहीं मिली है. लिहाजा सरकार ने यह फैसला किया कि उत्पादन के 10 प्रमुख क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम लागू की जाए.

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