PM Swamitva Yojana: केंद्र सरकार ग्रामीण इलाकों (Rural India) के विकास के लिए कई तरह की स्कीम्स चलाती रहती है. सरकार का यह लक्ष्य है कि गांव के लोगों को भी शहरी क्षेत्र जैसी सुविधाएं मिल सकें. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पीएम स्वामित्व स्कीम (Pradhanmantri Swamitva Yojana) किसी वरदान से कम नहीं है. यह गांव के उन लोगों को अपने जमीन का मलिकाना हक दे रहा जिनकी जमीन किसी भी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं है. गांव में कई ऐसे लोग हैं जिनकी जमीने किसी भी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं. ऐसे में इन लोगों को जमीन छिनने का डर बना रहता है. ऐसे लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना (PM Swamitva Yojana) को शुरू किया है.


प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना क्या है?
आपको बता दें कि पीएम स्वामित्व योजना की शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा साल 2020 में अप्रैल के महीने में की थी. इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार का मकसद है कि वह ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बना सके. इस स्कीम के जरिए सरकार तकनीक का इस्तेमाल करके ग्रामीण भारत को भी सशक्त और मजबूत बनाना चाहती है.


इस तरह ग्रामीण इलकों में रहने वालों को मिलेंगे कागजात
आपको बता दें कि पीएम स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य है कि गांव में रहने वाले लोगों को उनकी प्रॉपर्टी का मलिकाना हक मिल सके. इसके लिए गांव में रहने वाले लोगों को अब प्रॉपर्टी कार्ड (Property Card) के लिए स्कीम के तहत आवेदन नहीं करना पड़ेगा. सरकार जैसे-जैसे ग्रामीण भारत में सर्वे और मैपिंग की काम करती जाएगी वैसे-वैसे लोगों को उनकी जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड मिलता जाएगा. ध्यान रखने की बात यह है कि जिन लोगों के पास पहले से जमीन के कागज मौजूद हैं उन लोगों को तुरंत अपने कागजात की फोटोकॉपी करके जमा करवाना होगा. वहीं जिन लोगों के पास जमीन के कागज नहीं हैं उन्हें सरकार की तरफ से घिरौनी नाम का डॉक्यूमेंट दिया जाएगा.


लोगों को मिलेंगे यह फायदे
आपको बता दें कि जमीन खुद के नाम होने पर गांव के लोग उसे असानी से किसी को भी बेच या खरीदना पाएंगे. इसके साथ ही वह बैंक से लोन (Bank Loan) आदि की सुविधा भी आसानी से उठा पाएंगे. इस योजना के तहत साल 2021 से 2025 तक 6.62 लाख गांवों को शामिल करने की सरकार की प्लानिंग है. साल 2020-2021 में पायलेट प्रोजेक्ट (Pilot Project) में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और राजस्थान के कुछ गांवों को शामिल किया गया है.


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