मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक ने पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक पर 8 दिन पहले प्रतिबंध लगा दिए हैं. अब बैंक किसी ग्राहक को नया लोन जारी नहीं कर पाएगा. यही नहीं आरबीआई ने ग्राहकों के लिए भी सिर्फ 10 हजार रुपये निकालने की ही सीमा तय कर दी है. इसके चलते बैंक के कस्टमर्स को भी बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि महज एक खाते के चलते बैंक को इस संकट का सामना करना पड़ा है.


पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक मल्टी स्टेट अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक है. यह देश के 6 राज्यों, महाराष्ट्र , कर्नाटक, गोवा, गुजरात, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में काम कर रहा है. बैंक ने सन 1984 में मुम्बई के सायन इलाके में एक छोटे से कमरे से शुरुआत की थी. 35 साल में इस बैंक की 6 राज्यो में 137 शाखाएं खुल गई हैं. यह बैंक देश के टॉप 10 बड़े को-ऑपरेटिव बैंक में शुमार है. पीएमसी बैंक को सबसे कम समय में आरबीआई द्वारा शेड्यूल्ड बैंक की उपाधि मिलने का रुतबा मिला है. बैंक को फोरेक्स बिजनेस का लाइसेंस भी मिला है.


बैंक के खस्ताहाल होने और बैंक की इस हालत के पीछे की वजह
पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक का रियल एस्टेट फर्म हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड यानी एचडीआईएल पर 2500 करोड़ रुपये का बकाया लोन है. दिवालिया हो चुकी कंपनी पर बकाये इस लोन को बैंक ने आरबीआई की गाइडलाइंस के बावजूद एनपीए में नहीं डाला था वह भी तब जबकि कंपनी पिछले कई सालों से लोन को चुकाने में लगातार फेल होती रही थी. आरबीआई गाइडलाइंस के मुताबिक ऐसे मामलों में बैंक को लॉस का जिक्र करना चाहिए, हालांकि बैंक के पास इसका जवाब नही हैं कि आरबीआई को क्यों अंधेरे में रखा गया.


इतना ही नहीं , पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) बैंक को 2500 करोड़ रुपये न चुकाने वाले बिल्डर को ही बैंक ने एक महीने पहले फिर लोन जारी कर दिया. बैंक ने एचडीआईएल के वाइस चेयरमैन के नाम 96.5 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन जारी कर दिया. अगस्त के महीने में कर्ज में डूबी एचडीआईएल के वाइस चेयरमैन व एमडी सारंग वाधवान को बैंक ने 96.5 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन दिया. यह राशि 2500 करोड़ रुपये के उस लोन से अलग थी, जिसे चुकाना सारंग ने बंद कर दिया था. यही वह लोन है जिसे पीएमसी बैंक ने आरबीआई की गाइडलाइंस के बावजूद एनपीए में नहीं डाला था. बैंक के एमडी खुद जिम्मेदारी तो ले रहै है पर बैंक ने एचडीआईएल को एनपीए में क्यों नही डाला, उसका ठीकरा आरबीआई पर फोड़ रहे हैं.


उधर आरबीआई के सूत्रों ने बताया कि पीएमसी बैंक ने कुल 8,300 करोड़ रुपये के कर्ज दिए हैं, जिसमें से 31 फीसदी एचडीआईएल को जारी किया गया. आरबीआई की गाइडलाइन्स के मुताबिक, बैंक किसी व्यक्ति या कंपनी को 15 फीसदी से ज्यादा लोन जारी नहीं कर सकता है.


आखिरकार पीएमसी बैंक एचडीआईएल पर इतना मेहरबान क्यों था?
मुंबई के भांडुप इलाके में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक का दफ्तर ड्रीम्स मॉल की तीसरी मंजिल पर है यह ड्रीम्स मॉल एचडीआईएल कंपनी द्वारा बनाया गया है. पिछले दो दशकों से बैंक और एचडीआईएल कंपनी के बीच लेनदेन के कागजात को देखें तो यह समझ में आता है कि पीएमसी बैंक, एचडीआईएल के घर का बैंक बनकर रह गया है. एचडीआईएल कंपनी के मालिक सारंग वाधवा और उनके परिवार के सदस्यों के पीएमसी बैंक से करीबी संबंध रहे हैं. पीएमसी बैंक के चेयरमैन वर्यम सिंह एचडीआईएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में 9 साल तक का काम करते रहे हैं. साल 2006 से लेकर साल 2015 तक वर्यम सिंह एचडीआईएल में बड़े पद पर तैनात थे. इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक वर्यम सिंह की एचडीआईएल में साल 2015 में करीब 1.91 फ़ीसदी की हिस्सेदारी भी थी.


पीएमसी बैंक में है राजनीतिक हिस्सेदारी भी
मुंबई के मुलुंड इलाके से बीजेपी के चार बार के विधायक रह चुके सरदार तारा सिंह के बेटे रंजीत सिंह आज भी पीएमसी बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में हैं. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक सांठगांठ के चलते पीएमसी बैंक में धांधली हुई और इसका खामियाजा खाताधारकों को उठाना पड़ रहा है.


इस संबंध में पूछे जाने पर हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. अब आरोप लगने लगे है कि पीएमसी बैंक ने 2500 करोड़ लोन और निजी लोन ही नही बल्कि 6500 करोड़ के लोन दिए हैं. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि ना पीएमसी ने की है और ना ही आरबीआई ने की है.