नई दिल्लीः आज प्रधानमंत्री कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक राजस्व सचिव की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है. ये शेल कंपनियों को खत्म किए जाने को लेकर होने वाली कार्रवाई की निगरानी करेगी. शेल कंपनियां वो होती हैं जो अकसर कागजों पर चलती हैं और पैसे का फिजिकल लेनदेन नहीं करती पर मनी लॉन्ड्रिंग का आसान जरिया होती हैं. माना जा रहा है कि अब सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग को खत्म करने के लिए ही ऐसे सख्त कदम उठा रही है.
क्या हैं शेल कंपनियां?
शेल कंपनियां का वजूद केवल कागजों पर ही होता है और ये किसी तरह से कोई आधिकारिक कारोबार नहीं करती हैं और इन कंपनियों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाता है. कंपनियां न्यूनतम पेड अप कैपिटल के साथ काम करती है. इनका डिविडेंड इनकम जीरो होता है. साथ ही टर्नओवर और ऑपरेटिंग इनकम भी बहुत कम होती है. शेल कंपनियों के बारे में कहा जाता है कि काले धन को सफेद करने के लिए बड़े पैमाने पर इन कागजी कंपनियों का इस्तेमाल किया जाता है.
इस बार बजट में भी वित्त मंत्री ने जिक्र किया था कि भारत में 15 लाख रजिस्टर्ड कंपनियां है और इनमें से सिर्फ 6 लाख कंपनियां ही रिटर्न फाइल करती . इस आंकड़े से ये भी साबित हो सकता है कि ये कागजी कंपनियां हैं जिनका मकसद टैक्स चोरी और पैसे का हेरफेर करना हो सकता है.
शेल कंपनियों की जांच में सामने आई बड़ी जानकारी
ऐसी कंपनियों की जांच में सामने आया है कि ये नॉमिनल पेड अप कैपिटल के बाद हाई रिजर्व और सरप्लस रखती हैं. ये अनलिस्टेड कंपनियों के तौर पर इंवेस्टमेंट, हाई कैश इन हैंड होने के बावजूद डिवि़डेंड पे आउट नहीं करतीं. नॉमिनल खर्च, नॉमिनल स्टॉक इन ट्रेड, मिनिमम फिक्स्ड असेट्स भी इन कंपनियों की खासियत होती है. इन कंपनियों के पास हाई शेयर प्रीमियम के नाम पर ऊंचा रिजर्व है पर ये इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करती हैं.
नवंबर से दिसंबर के दौरान 1238 करोड़ रुपये कैश इस तरह की शेल कंपनियों में जमा किए गए हैं जिसका साफ मतलब निकल सकता है कि नोटबंदी के बाद काले धन को खपाने के लिए इस तरह की कंपनियों का इस्तेमाल किया गया होगा. सीरियस फ्रॉड इनवेस्टिगेशन ऑफिस (एसएफआईओ) ने 49 शेल कंपनियों कंपनियां चलाने और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने वाले ऑपरेटर्स पर चीटिंग का आपराधिक मामला दर्ज कराया है. वहीं एसएफआईओ ने ये भी जानकारी दी है कि 54 प्रोफेशनल्स की मदद से 559 बेनिफिशियरीज ने 3900 करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग या कालेधन की हेराफेरी की है.
एसएफआईओ ने ये जानकारी एसआईटी, आयकर विभाग, ईडी, सेबी और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्डेट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के साथ भी शेयर की है. आईसीएआई ने इन कागजी कंपनियों के जरिए ब्लैकमनी इधर से उधर करने वालों की खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी है. इसके अलावा 49 शेल कंपनियों को बंद किए जाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है ऐसी खबरें आई हैं.
क्यों लिया सरकार ने ये कदम?
केंद्र सरकार के इस कदम से माना जा सकता है कि सरकार कालेधन के साथ साथ मनी लॉन्ड्ररिंग पर भी पूरी तरह लगाम कसने की तैयारी में है. इस टास्क फोर्स के जरिए सरकार आने वाले समय में शेल कंपनियों के जरिए पैसे का हेरफेर करने वाली कंपनियों के अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का रास्ता साफ करेगी. मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी को निकालने और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के मकसद से ऐसी कंपनियों पर भी सख्ती बरतने के संकेत दिए हैं.