घर कर्ज पर मचा घमासान, पीएनबी, एसबीआई 8.5% पर देंगे होम लोन
नई दिल्लीः पंजाब नेशनल बैंक ने 8.5 फीसदी की सालाना दर पर घर कर्ज देने का ऐलान किया है. ये दर तमाम बैंकों में सबसे कम है. उधर, भारतीय स्टेट बैंक ने भी 8.5 फीसदी की ब्याज दर पर घर कर्ज देने का ऐलान किया, लेकिन उसमें कई तरह की शर्तें लागू होंगी. नोटबंदी के दौरान अगर आप कतार में लगे तो अब बैंक कतार में खड़े होकर आपको कर्ज देने के लिए तैयार हैं और वो भी घटे हुए ब्याज दर पर.
ताजा स्थिति ये है कि पंजाब नेशनल बैंक अब 8.5 फीसदी की सालाना दर पर घर कर्ज देगा जबकि पहले ये दर 9.2 फीसदी थी. इस कमी की वजह से 20 साल के लिए 50 लाख रुपये के कर्ज पर मासिक किस्त यानी ईएमआई 45631 रुपये से घटकर 43391 रुपये रह जाएगी, यानी 2240 रुपये का फायदा मिलेगा.
नई दर का फायदा नए ग्राहकों को तो मिलेगा ही, वहीं जिन्होने 31 मार्च 2016 तक बेस रेट पर कर्ज ले रखा है, वो बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के नई दर पर पुराने कर्ज को लाने के आवेदन दे सकते हैं. दूसरी ओर जिन्होंने 1 अप्रैल से 31 दिसम्बर के बीच कर्ज लिया, उनके लिए ब्याज दर में किसी तरह का बदलाव कर्ज की तारीख के ठीक एक साल बाद होगा. पंजाब नेशनल बैंक के पहले भारतीय स्टेट बैंक ने ब्याज दरों में कमी तो की ही, साथ ही घर कर्ज के लिए एक नई योजना का भी ऐलान कर दिया. आम बोलचाल की भाषा में इसे टीजर लोन कहा जा सकता है. दिलचस्प बात ये है कि रिजर्व बैंक ने टीजर लोन पर रोक लगा रखी है. बहरहाल,
भारतीय स्टेट बैंक ने खास योजना के तहत 30 लाख रुपये तक के घर कर्ज के लिए विशेष योजना शुरु की है जिसमें 2 साल तक ब्याज दर साढ़े फीसदी होगी जबकि उसके बाद ब्याज दर फ्लोटिंग हो जाएगी, यानी ब्याज दर घट-बढ़ सकती है. इसी के साथ भारतीय स्टेट बैंक ने 75 लाख रुपये तक के लिए कर्ज पर महिलाओं के लिए ब्याज दर 9.1 फीसदी से घटाकर 8.6 फीसदी और बाकियों के लिए 9.15 फीसदी से घटाकर 8.65 फीसदी कर दिया है. कमी के बाद 20 साल के लिए 50 लाख रुपये के कर्ज पर ईएमआई 45 हजार 470 रुपये से घटकर 43 हजार 867 रुपये रह जाएगी, यानी 1603 रुपये का फायदा.
नई दरों का फायदा वैसे तो नई ग्राहकों को ही मिलेगा लेकिन पुराने ग्राहक चाहें तो आवेदन देकर नए ब्याज दर पर अपने कर्ज को ला सकते हैं. हो सकता है कि इसके लिए कुछ रकम चुकानी पड़े जिसे कनवर्जन चार्ज कहते हैं. घर कर्ज समेत विभिन्न तरह के कर्ज पर ब्याज दरों में कटौती ब्याज दरों में ये कटौती मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फड्स बेस्ड लेडिंग रेट्स यानी एमसीएलआर में कटौती के आधार पर की गयी है. आम बोलचाल की भाषा में एमसीएलआर का मतलब विभिन्न मियाद की जमाओं की लागत है और इस व्यवस्था को बीते साल पहली अप्रैल से लागू किया गया. एमसीएलआर मे मार्जिन जोड़ कर घऱ कर्ज या दूसरेकर्ज पर ब्याज दरें तय की जाती है.
ये मार्जिन 20 से लेकर 65 बेसिस प्वाइंट्स का हो सकता है. आम तौर पर 1 साल के एमसीएलआर को घर कर्ज या गाड़ी के कर्ज पर ब्याज दर का आधार बनाया जाता है. एक और बात, जिन लोगो ने एमसीएलआर पर फ्लोटिंग रेट के हिसाब से कर्ज ले रखा है, उनके लिए आम तौर पर कर्ज की तारीख से कुछ समय बाद ही मसलन तीन महीने या एक साल तक ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होता. उसके बाद यदि फ्लोटिंग रेट की व्यवस्था है तो जब जब ब्याज दर में कमी या फेरबदल होगा.