Power Consumption Data: देश में बिजली की खपत बीते वित्त वर्ष 2022-23 में सालाना आधार पर 9.5 फीसदी बढ़कर 1,503.65 अरब यूनिट (बीयू) हो गई. इसका मुख्य कारण आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि के बीच बिजली की मांग बढ़ना है. सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है. इससे पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में बिजली की खपत 1,374.02 अरब यूनिट थी.


CEA की ओर से जारी आंकड़ों में मिली जानकारी


केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा जारी बिजली आपूर्ति के आंकड़ों के मुताबिक, एक दिन में अधिकतम बिजली की आपूर्ति पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 207.23 गीगावॉट हो गई, जो 2021-22 में 200.53 गीगावॉट थी. विशेषज्ञों का मानना है कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में बिजली की खपत और मांग में काफी सुधार देखने को मिलेगा. बिजली मंत्रालय ने इन गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावॉट तक पहुंचने का अनुमान लगाया है.


मंत्रालय आयातित कोयला आधारित संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का पहले ही निर्देश दे चुका है. इसके अलावा मंत्रालय ने घरेलू कोयला आधारित संयंत्रों से गर्मियों में बिजली की भारी मांग को पूरा करने के लिए मिश्रण के लिए कोयला आयात करने को कहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली की खपत में बढ़ोतरी से स्पष्ट पता चलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां सुधर रही हैं. उन्होंने कहा कि यदि मार्च में देश में बारिश नहीं होती, तो बीते वित्त वर्ष में बिजली खपत में वृद्धि दो अंक में होती.


बारिश की वजह से मार्च में बिजली की मांग पर दिखा असर


देश में बारिश की वजह से मार्च में बिजली की मांग प्रभावित हुई है. मार्च, 2023 में बिजली की खपत एक साल पहले की समान अवधि के 128.47 अरब यूनिट से घटकर 126.21 अरब यूनिट रह गई.


अप्रैल 2022 से फरवरी 2023 तक के आंकड़े जानें


अप्रैल, 2022 से फरवरी, 2023 तक बिजली की खपत 2021-22 के स्तर को पार कर गई थी. अप्रैल, 2022 से फरवरी, 2023 तक बिजली की खपत 1,377.43 अरब यूनिट रही, जो पूरे वित्त वर्ष 2021-22 में दर्ज 1,374.02 अरब यूनिट से अधिक है. विश्लेषकों का मानना है कि 2023-24 में बिजली खपत में वृद्धि दो अंक यानी 10 फीसदी से अधिक रह सकती है.


ये भी पढ़ें


Market Outlook: महंगाई के आंकड़ों, तिमाही नतीजों, ग्लोबल रुख से तय होगी बाजार की चाल