Coal Crisis: देश में बिजली की बढ़ती मांग और खपत के मद्देनजर सरकार थर्मल पावर प्लांट से सुचारू रुप से बिजली उत्पादन को बनाये रखने के लिए अभी से जुट गई है. ऊर्जा मंत्रालय को आशंका है कि देश में फिर कोयले की कमी हो सकती है. बिजली की बढ़ती मांग और खपत के चलते कोयला आधारित बिजली की मांग बढ़ी है. ऐसे में ऊर्जा मंत्रालय को थर्मल पावर प्लांट्स पर 24 मिलियन टन कोयले की कमी की आशंका है. ऐसे में ऊर्जा मंत्रालय ने बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियों से अपनी कुल जरुरत का 6 फीसदी कोयला आयात करने को कहा है.
मनीकंट्रोल के रिपोर्ट के मुताबिक 9 जनवरी, 2023 को मंत्रालय ने एक पत्र जारी कर रहा कि बिजली की मांग और खपत दोनों ही बढ़ी है जिसके चलते कोल बेस्ड पावर जेनरेशन भी बढ़ा है. मंत्रालय के मुताबिक सभी सोर्सेज से कोयले की सप्लाई बढ़ी है लेकिन ये थर्मल पावर प्लांट के कोयले की जरुरतों को पूरा करने के लिए नाकाफी है.
ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी अथॉरिटी, कोयला मंत्रालय, रेल मंत्रालय और पावर प्रोड्यूसर्स के एसोसिएशन के साथ ऊर्जा मंत्रालय ने ये तय किया है कि सभी पावर जेनरेशन कंपनियों को ये निर्देश दिया जाएगा कि मौजूदा वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष की पहली छिमाही के लिए अपनी जरुरत का 6 फीसदी कोयला आयात करे.
देश में बिजली की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी आई है और 2023-24 के पहले छह महीने तक मांग में तेजी बने रहने की उम्मीद है. पिछले ट्रेंड को देखें तो 2023-24 के पहले छह महीने में 392 मिलियन टन घरेलू कोयले की सप्लाई होगी. पर 24 मिलियन टन कोयले की कमी रह सकती है.
दैनिक कोयले की खपत और घरेलू कोयले की सप्लाई के बीच 3 लाख टन प्रतिदिन से लेकर 1 लाख टन प्रतिदिन तक की कमी है. इस कमी को आयातित कोयले के साथ मिलाकर पूरा किया जाएगा. यह आकलन किया गया है कि घरेलू कोयले आधारित प्लांट्स में आयातित कोयले के मिश्रण के बिना कोयले का स्टॉक धीरे-धीरे घटकर शून्य हो जाएगा, जो देश में बिजली आपूर्ति के संकट को गंभीर बना सकता है.
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