पीपीएफ समय पूर्व बंद करना हो सकता है आसान, छोटी बचत योजनाओं में नामांकन होगा जरूरी
पीपीएफ और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट जैसी छोटी बचत योजनाओं के जरिए आयकर में छूट पाने का प्रावधान है. साथ ही इन योजनाओं के लिए हर तीन महीने पर ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है. फिलहाल, सरकार का कहना है कि प्रस्तावित व्यवस्था में मौजूदा और नए जमाकर्ताओं के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.
नई दिल्ली: पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी पीपीएफ खाता खोले जाने के पांच साल के भीतर बंद करना संभव हो सकेगा. साथ ही छोटी बचत योजनाओं में किसी को भी नामांकन करना अनिवार्य होगा. ये सब मुमकिन होगा वित्त विधेयक के एक खास प्रावधान के तहत जहां पीपीएफ समेत तमाम छोटी बचत योजनाओं से जुड़े कानूनों और नियमों को खत्म करने, गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक्स एक्ट 1873 में बदलाव करने और एक नियम बनाने का प्रावधान किया गया है.
पीपीएफ और नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट जैसी छोटी बचत योजनाओं के जरिए आयकर में छूट पाने का प्रावधान है. साथ ही इन योजनाओं के लिए हर तीन महीने पर ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है. फिलहाल, सरकार का कहना है कि प्रस्तावित व्यवस्था में मौजूदा और नए जमाकर्ताओं के हितों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. ध्यान रहे कि छोटी बचत योजनाएं बेहद सुरक्षित मानी जाती हैं, क्योंकि इन पर मूल और ब्याज के लिए सरकार की गारंटी होती है.
क्या है नई प्रस्तावित व्यवस्था
वित्त विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक, अब सभी छोटी बचत योजनाओं के लिए एक ही कानून होगा और वो है गवर्नमेंट सेविंग्स बैंक्स एक्ट. साथ ही नियम भी एक हो जाएगा. इस कोशिश में, पब्लिक प्रोविडेंट एक्ट 1968 और गवर्नमेंट सेविंग्स सर्टिफिकेट एक्ट 1959 को खत्म किया जाएगा. साथ ही आठ तरह के नियम भी खत्म कर दिए जाएंगे. वित्त मंत्रालय का कहना है कि लॉ कमीशन ने 1998 में इस बारे में सुझाव दिया था जिसपर लंबे समय तक विचार-विमर्श के बाद अब बजट में प्रावधान किया गया. वित्त मंत्रालय की मानें तो नई व्यवस्था से कई विसंगतियां और जमाकर्ताओं के मन में बैठे भ्रम को दूर करना संभव हो सकेगा.
क्या होगा पीपीएफ में
पीपीएफ से जुड़े मौजूदा कानून के तहत खाता खोले जाने के पांच कारोबारी साल पूरे होने के पहले बंद कराने की अनुमति नहीं है, जबकि दूसरे कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. यदि कोई जमाकर्ता वित्तीय स्थिति या स्वास्थ्य कारणों से पांच साल के पहले खाता बंद कराना चाहे तो ये उसके ले मुमकिन नहीं होगा.. अब नयी व्यवस्था में ऐसा संभव हो सकेगा और पीपीएफ व दूसरी तमाम छोटी बचत योजनाओं में खाता बंद करना ज्यादा आसान हो जाएगा. फिलहाल, नई समय सीमा क्या होगी और उसके लिए क्या शर्तें पूरी करनी होंगी, इसके लिए सरकार अधिसूचना जारी करेगी जिसके बाद ही जमाकर्ताओं को नई सुविधाओं का फायदा मिल सकेगा.
नामांकन की नई व्यवस्था
- 18 साल से कम उम्र यानी अल्पव्यस्क के नाम से खोले गए खाते में कई बार अजीब सी परेशानी होती है. यदि खातेदार की मृत्यु हो जाए और किसी का नामांकन नहीं है तो तय सीमा से ज्यादा की रकम कानूनी उत्तराधिकारी को मिल जाता है. हालांकि इसके लिए उत्तराधिकार प्रमाण पत्र जमा कराना अनिवार्य होता है. ऐसी तमाम परेशानियों को खत्म करने के लिए दो प्रावधान किए गए हैं
- अल्पव्यस्क के नाम से खोले गए खाते में नामांकन की व्यवस्था कर दी गई है. साथ ही ये भी प्रावधान है कि यदि अल्पव्यस्क की मौत हो जाए और वहां नामांकन नहीं है तो पूरा पैसा अभिभावक को दे दिया जाए.
- किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए नामांकन कराना अनिवार्य होगा.
- मौजूदा नियमों के तहत यदि किसी जमाकर्ता की मृत्यु हो जाती है और यदि वहां नामांकन किया गया है तो पूरी की पूरी रकम नामित व्यक्ति को मिल जाती है. सर्वोच्च न्यायालय के एक फैसले के मुताबिक नामित व्यक्ति को कानूनन उत्तराधिकारी के एवज में महज जमा रकम हासिल करने का अधिकार है. इससे जमा से जुड़े कानून और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती है. अब नामांकन के नए नियमों से इस विवाद को खत्म करना संभव हो सकेगा.
बच्चों के बीच जमा की संस्कृति
मौजूदा कानून के तहत छोटी बचत योजनाओं में छोटे बच्चों की ओर से जमा को लेकर बहुत स्पष्ट प्रावधान नहीं है. अब प्रस्तावित व्यवस्था के तहत अभिभावक बच्चों के लिए छोटी बचत योजनाओं में पैसा लगा सकते हैं. अभिभावकों को हर तरह के अधिकार और जिम्मेदारी भी मिलेंगी. साथ ही बच्चे खुद जमा कराना चाहे तो उसकी भी इजाजत होगी. इससे बच्चों के बीच जमा की संस्कृति को विकसित करने में मदद मिलेगी.