PPF Rate Hike: पब्लिक प्रॉविडेंट फंड यानि पीपीएफ में निवेश करने वाले निवेशकों को बड़ी सौगात मिल सकती है. इस बात के आसार है कि वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के लिए पीपीएफ के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है. वित्त मंत्रालय छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरों की समीक्षा करने वाली है. जिसकी घोषणा आज की जा सकती है.
अप्रैल 2020 के बाद से लेकर अब तक पीपीएफ के ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. पीपीएफ पर फिलहाल 7.1 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है. हालांकि इस दौरान केंद्र सरकार ने पिछले तीन तिमाही से लगभग सभी छोटी बचत योजनाओं के ब्याज दरें बढ़ा चुकी है जिसमें सुकन्या समृद्धि योजना भी शामिल है.
अप्रैल से जून के लिए इन बचत याजनाओं के ब्याज दर में 10 से 70 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई थी. जिसमें एनएससी यानि नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट के ब्याज दर को 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.70 फीसदी कर दिया गया था. सुकन्या समृद्धि योजना के ब्याज दर को बढ़ाकर 7.6 फीसदी से 8 फीसदी कर दिया गया. किसान विकास पत्र पर फिलहाल 7.5 फीसदी ब्याज सालाना मिल रहा है और इसकी मैच्योरिटी अवधि को 120 महीने से घटाकर 115 महीने कर दिया गया था.
इन बचत योजनाएं के ब्याज दरें तो बढ़ा दी गई लेकिन सरकार ने पीपीएफ के ब्याज दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं है. जबकि एक साल में आरबीआई 2.50 रेपो रेट बढ़ा चुका है. जिसके बाद बैंकों ने एफडी पर ब्याज दरें बढ़ाई है तो सरकार ने अपनी छोटी बचत स्कीमों पर. ऐसे में पीपीएफ के निवेशक भी ब्याज दरें बढ़ाये जाने की उम्मीद कर रहे हैं.
पीपीएफ के ब्याज दरें तय करने का फॉर्मूला है जिसे 2016 में वित्त मंत्रालय ने नोटिफाई किया था. इसके तहत 10 साल के बांड यील्ड (Bond Yield) से 25 बेसिस प्वाइंट ज्यादा ब्याज पीपीएफ पर दिया जाता है. फिलहाल बांड यील्ड 7.3 फीसदी है. इस फॉर्मूला के आधार पर पीपीएफ के ब्याज दरों को 7.55 फीसदी तक बढ़ाया जाना चाहिए.
पीपीएफ जैसी बचत योजनाओं को सुरक्षित मानकर शहरी और ग्रामीण आम भारतीय निवेश करते हैं. ये वो लोग हैं जो शेयर बाजार के उठापटक से दूर रहते हुए इन योजनाओं में निवेश करने पर भरोसा करते हैं साथ ही टैक्स बचाने के लिए भी निवेश करते हैं. पीपीएफ की लोकप्रियता बनाये रखने के लिए भी सरकार पर ब्याज दरें बढ़ाने का दबाव है.
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