कोरोना महामारी के साथ लगातार बढ़ती महंगाई से जनता बेहद परेशान है. देश में खाद्य तेलों के दामों में भी लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस महीने खाद्य तेलों के दाम पिछले एक दशक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं. सोमवार को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने खाद्य तेलों की बढ़ती कीमत को लेकर इसमें शामिल सभी पक्षों से बैठक की. बैठक में विभाग ने राज्य के साथ साथ व्यापारों से खाद्य तेलों के दाम में कमी लाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है.
विभाग ने इस बैठक के बाद बयान भी जारी किया. बयान के अनुसार, "पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत के मुकाबले भारत में इनके दामों में कहीं अधिक बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है. इस पर केंद्र सरकार ने भी अपनी चिंता जाहिर की थी. जिसके बाद खाद्य तेल के व्यापार से सम्बंधित सभी पक्षों को इस बैठक को बुलाया गया था." भारत में खाद्य तेल का 60 प्रतिशत से अधिक का आयात विदेशों से होता है इसलिए अंतरराष्ट्रीय कीमतों के साथ इसको जोड़कर देखा जाता है.
जनवरी 2010 के बाद से अब तक की सबसे ऊंची कीमत
स्टेट सिविल सप्लाईज डिपार्टमेंट के आंकड़ों के अनुसार देश में रिटेल में खाद्य तेल के मासिक औसत दाम जनवरी 2010 से अब तक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए हैं. ये आंकडें उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय किन वेबसाइट पर मौजूद हैं. मंगलवार को मिले डाटा के अनुसार, मई के महीने में सरसों के तेल के औसत दाम 164.44 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए. जी कि पिछले साल में मई के महीने से 39 प्रतिशत अधिक है. मई 2020 में सरसों के तेल का औसत दाम 118.25 रुपये प्रति किलोग्राम था. भारत के सभी घरों में ज्यादातर खाना पकाने के लिए इस तेल का इस्तेमाल किया जाता है. मई 2010 में इसके दाम 63.05 रुपये प्रति किलोग्राम था.
पाम ऑयल का भी भारत के कई घरों में इस्तेमाल होता है. मई के महीने में इसके औसत दाम 131.69 रुपये प्रति किलोग्राम रहे जो कि पिछले साल के मुक़ाबले 49 प्रतिशत अधिक है. मई 2020 में पाम ऑयल के औसत दाम 88.27 रुपये प्रति किलोग्राम थे. वहीं अप्रैल 2010 में इसके दाम 49.13 रुपये प्रति किलोग्राम था. अन्य तेलों में इस महीने मूंगफली के तेल के औसत दाम 175.55 रुपये, वनस्पति के 128.7 रुपये, सोयाबीन तेल के 148.27 रुपये और सनफ़्लावर तेल के 169.54 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच गए हैं. पिछले साल के मुकाबले इन तेलों के औसत दाम में 19 से 52 प्रतिशत तक की बदोत्तरी दर्ज की गयी है.
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