Wheat Processing उद्योग को गेहूं के दाम में तेजी का सता रहा है डर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेज
80 करोड़ गरीबों को मुफ्त गेहूं मिल रहा है, लेकिन असल मार शहरों में नौकरी कर रहे लोवर मिडिल क्लास पर पड़ने वाली है, जो न तो गरीबी रेखा के नीचे का लाभ पाते हैं, न महंगा अनाज खरीदने की उनकी क्षमता है.
भारत में मार्च में अचानक गर्मी बढ़ जाने से गेहूं का कम उत्पादन होने, सरकार के पास अनाज का स्टॉक कम होने और वैश्विक मांग बढ़ने के बीच Wheat Processing Industry को आटे का भाव अगले कुछ दिन में नई ऊंचाइयों पर पहुंचने का डर सता रहा है. इसके पीछे वजह यह है कि आटे की खपत करने वाले प्रमुख देशों में इसकी कीमत तेज हो रही है. ट्रेडर्स और प्रॉसेसर्स का कहना है कि देश के ज्यादातर इलाकों में गेहूं की कीमत 27 से लेकर 29.50 रुपये प्रति किलो है, जो सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 20.15 रुपये से बहुत ज्यादा है. सरकार जहां गरीबों को मुफ्त में गेहूं बांट रही है, लोवर मिडिल क्लास को इस महंगाई से बचाने का कोई प्रयोजन नहीं हो रहा है.
ईटी की एक खबर के मुताबिक भारत के ज्यादातर इलाकों में गेहूं की कीमत एमएसपी से 30 से 40 प्रतिशत ऊपर है. ट्रेडर्स का कहना है कि मौजूदा भाव अब तक के रिकॉर्ड उच्च भाव पर है. पिछले 4 महीने में कीमतें धीरे धीरे बढ़ते हुए 24 रुपये किलो से अब 29 रुपये से ऊपर पहुंच गईं.
सरकार ने पहले ही उठाए हैं कदम
कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार ने कई प्रयोजन किए. सरकार ने अगस्त में गेहूं के आटे के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला किया, जिससे इसकी बढ़ती कीमतों पर काबू पाया जा सके. इसके पहले जुलाई में डीजीएफटी ने एक अधिसूचना में कहा था कि सरकार ने गेहूं के आटे, मैदे और सूजी के निर्यात पर शर्तें लगा दी हैं. इसके बावजूद गेहूं की कीमत थमने का नाम नहीं ले रही है. विदेश में मांग बढ़ने से अप्रैल-जुलाई 2022 के दौरान पिछले साल की तुलना में भारत से गेहूं के आटे के निर्यात में 200 प्रतिशत वृद्धि हुई. इससे घरेलू बाजार में भी दाम आसमान पर पहुंच गए.
इस सीजन में बढ़ी गेहूं की बुआई
गेहूं के दाम बढ़ने की वजह से किसानों ने इसकी बुआई तेज कर दी है. कारोबारियों ने बताया कि आने वाले महीनों में मौसम अनुकूल रहने पर यह बेहतर फसल रहने के संकेत हैं. 25 नवंबर तक 1.52 करोड़ हेक्टेयर गेहूं की बुआई हो चुकी थी, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के रकबे से लगभग 10.48 फीसदी अधिक है. देश में लगभग 3.05 करोड़ हेक्टेयर में गेहूं बोया जाता है.
खुले बाजार में गेहूं नहीं बेचेगी सरकार
केंद्र सरकार का कहना है वह स्थिति की निगरानी कर रही है. हालांकि यह भी कहा है कि खुले बाजार में गेहूं बेचने की योजना नहीं है। सरकार का कहना है कि गेहूं के लिए खुले बाजार में बेचने की फिर से शुरुआत करने या आयात शुल्क को कम करने पर समय के साथ फैसला किया जाएगा.
गरीबों को मुफ्त मिल रहा गेहूं
सरकार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के दिसंबर 2022 तक मुफ्त गेहूं दे रही है। सरकार ने यह भी कहा कि यदि योजना को दिसंबर 2022 से आगे बढ़ाया जाता है तो भी भंडार में पर्याप्त अनाज होगा। PMGKAY के तहत सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को 5 किलो गेहूं और चावल मुफ्त दे रही है. इसके अलावा इन लाभार्थियों को सस्ते भाव पर भी सरकारी कोटे से राशन मिलता है. कोविड की पहली लहर के दौरान शुरू किए गए PMGKAY को तब से अब तक 7 बार बढ़ाया जा चुका है. आखिरी बार सितंबर 2022 में इसकी समयावधि बढ़ाई गई थी.