आलू का उत्पादन ज्यादा होने पर भी बढ़ रहे दाम, क्या वजह जानते हैं आप?
देश में आलू का उत्पादन ज्यादातर रबी सीजन में होता है लेकिन कुछ इलाकों में खरीफ जायद सीजन में आलू की पैदावार होती है. इसलिए कोल्ड स्टोरेज के अलावा ताजा आलू की आवक बाजार में सालोभर बनी रहती है.
नई दिल्ली: सब्जियों में सबसे ज्यादा उपभोग होने वाला आलू का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने के बावजूद लगातार दाम में इजाफा हो रहा है. इस महीने आलू के खुदरा दाम में 50 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है. कारोबारी कहते हैं कि मंडियों में आलू कम आ रहा है जिसके कारण दाम तेज है.
आलू ऐसी सब्जी है जिसे लंब समय तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और इसके खराब होने की संभावना कम रहती है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस साल आलू का उत्पादन भी 3.5 फीसदी ज्यादा है, फिर भी बाजार में आवक कम है.
देश में आलू का उत्पादन ज्यादातर रबी सीजन में होता है लेकिन कुछ इलाकों में खरीफ जायद सीजन में आलू की पैदावार होती है. इसलिए कोल्ड स्टोरेज के अलावा ताजा आलू की आवक बाजार में सालोभर बनी रहती है.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले और हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. मनोज कुमार बताते हैं कि आलू की कीमतों में तेजी की वजह उत्पादन में कमी नहीं हो सकती है क्योंकि दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में आलू का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा हुआ है. ग्रीष्मकालीन फसल कम होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन सीजन में आलू का उत्पादन बहुत ज्यादा नहीं होता कि उससे कीमतों पर असर हो.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019-20 के दौरान देश में आलू का उत्पादन 513 लाख टन हुआ जबकि एक साल पहले 2018-19 में देश में आलू का उत्पादन 501.90 लाख टन हुआ था.
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इस साल फरवरी-मार्च में हुई बारिश के कारण उत्तर भारत में आलू की फसल प्रभावित हुई थी नहीं हो तो उत्पादन और ज्यादा होता. बता दें कि पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में 519.47 लाख टन का अनुमान लगाया गया था.
देश की राजधानी दिल्ली स्थित एशिया में फलों और सब्जियों की सबसे बड़ी आजादपुर सब्जी मंडी में आलू की आवक बीते चार महीने से पिछले साल के मुकाबले कम रही है. गुरुवार यानी 30 जुलाई को आजादपुर मंडी में आलू की आवक 605.4 टन थी जबकि पिछले साल 30 जुलाई को मंडी में सब्जी की आवक 1,030.5 टन थी.
मासिक आवक के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अप्रैल में आलू की आवक 18,103 टन रही जबकि पिछले साल इसी महीने में 36237 टन थी. इसी प्रकार मई में आलू की आवक पिछले साल के 28308.2 टन के मुकाबले 14921.9 टन और जून में 25926.9 टन के मुकाबले इस साल जून में 15946.3 टन रही.
कोरोना काल में शुरूआत में तर्क यह भी दिया गया था कि होटल, रेस्तरां और कैंटीन यानी होरेका बंद होने से इसलिए आलू की आवक कम है, लेकिन कारोबारी बताते हैं कि होरेका की मांग करीब 20-30 फीसदी होती है जबकि आवक तकरीबन 50 फीसदी कम है.
आजादपुर मंडी कृषि उपज विपणन समिति के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र शर्मा का कहना है कि आलू के दाम में वृद्धि की इस समय कोई वजह नहीं है क्योंकि आलू की आपूर्ति की कोई समस्या नहीं है. उन्होंने कहा कि ज्यादा मुनाफा कमाने के मकसद से मंडियों में आलू की आपूर्ति कम की जा रही है जबकि कोल्ड स्टोरेज में आलू की कमी नहीं है.
आलू जो एक महीने पहले तक खुदरा बाजार में 20 रुपये किलो बिकता था वह आज 30 से 35 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. कोरोना काल में मिल रही आर्थिक चुनौतियों के मौजूदा दौर में सब्जियों के दाम बढ़ने से आम उपभोक्ताओं की कठिनाई बढ़ गई है. उपभोक्ता बताते हैं कि हरी सब्जियों के दाम बढ़ने पर गरीबों के लिए आलू एकमात्र सहारा था अब उसकी भी कीमत आसमान छूने लगी है.
आजादपुर मंडी में एक महीने पहले आलू का खुदरा भाव एक महीने पहले आठ रुपये से 22 रुपये प्रति किलो था अब 10 रुपये से 28 रुपये प्रति किलो हो गया है. बाजार में ऊंचे भाव पर इस समय पहाड़ी आलू बिक रहा है.
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