PM Modi at CAG: ऑडिट दिवस के मौके पर पीएम मोदी बोले, संपत्तियों के Monetization से अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार
PM Modi at CAG: पहले ऑडिट दिवस को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सरकार के Used और Unused संपत्तियों के Monetization से अर्थव्यवस्था को तेज गति देने में मदद की है.
![PM Modi at CAG: ऑडिट दिवस के मौके पर पीएम मोदी बोले, संपत्तियों के Monetization से अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार Prime Minister Narendra Modi says monetization of unused and underused assets is a brave decision that helped revive the economy. PM Modi at CAG: ऑडिट दिवस के मौके पर पीएम मोदी बोले, संपत्तियों के Monetization से अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2021/10/22/f5f71bff6a7de22938be8e2a4a8ac83b_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
PM Modi at CAG: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Used और Unused संपत्तियों के Monetisation के बारे में बोलते हुए कहा है कि सरकार का ये एक साहसी निर्णय है जिसने अर्थव्यवस्था को तेज गति देने में मदद की है. उन्होंने कहा, "इस कदम पर दुनिया भर में चर्चा और स्वागत किया जा रहा है." नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के कार्यालय में पहले ऑडिट दिवस को संबोधित कर रहे थे.
पारदर्शिता न होने की वजह से बढ़ा NPA
प्रधानमंत्री ने पुरानी सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाते हुये कहा कि, हम देश की पुरानी सरकारों के बारे में जानते हैं और उनकी हकीकत भी जानते हैं. हमारी सरकार समस्याओं का समाधान तभी कर सकी जब हम उन समस्याओं की सही तरीके से पहचान कर सके.
पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में कहा कि पारदर्शिता न होने की वजह से बैंकिंग सेक्टर में पहले दूसरी प्रक्रिया इस्तेमाल में लाई जाती थी. इसका परिणाम ये हुआ कि बैंकों का एनपीए ( Non performing Assets) का दायरा बढ़ता चला गया.
पहले CAG बनाम सरकार थी आम सोच
Audit को लेकर पहले की चिंताओं को जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक समय था जब आडिट को बड़े डर और चिंता की नजर से देखा जाता था. CAG बनाम सरकार की एक सामान्य सोच बन गई थी. कुछ को लगता था कि CAG को हर जगह गलत ही दिखाई देता है. लेकिन आज इस सोच में बदलाव आ गया है। आज इसको वैल्यू एडिशन के रूप में देखा जाता है. उन्होंने कहा कि कुछ ही संस्थान समय के साथ और मजबूत, और अधिक मैच्योर होती जाती हैं. बीते कुछ दशकों में कई संस्थानों ने अपनी अहमियत को खो दी है लेकिन सीएजी मे अपनी चमक को बरकरार रखा है.
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