नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने विवादों में फंसे कर रकम को लेकर चिंता जतायी है. अब उन्होंने कर अधिकारियों से इस रकम की वसूली के लिए कार्ययोजना बनाने को कहा है.


केवल प्रत्यक्ष कर (इनकम टैक्स यानी आयकर, कॉरपोरेट टैक्स यानी निगम कर वगैरह) की ही बात करें तो 31 जनवरी 2017 को इनकम टैक्स कमिश्नर (अपील) के सामने लंबित 2.80 लाख से भी ज्यादा मामलों में 6.81 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम फंसी थी. इसी तरह 30 सितम्बर 2016 तक इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल में 1.40 लाख करोड़ रुपये, हाई कोर्ट में 1.66 लाख करोड़ रुपये और सुप्रीम कोर्ट में साढ़े सात हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम टैक्स मामलों के तहत फंसी पड़ी हुई है.



प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न अपीलिय मंच पर लंबित कर विवादों को लेकर चिंता जतायी है. उन्होने कहा कि इन मामलों में खासी बड़ी रकम फंसी हुई है जिसका इस्तेमाल गरीबों के कल्याण में किया जा सकता था. उन्होंने कर अधिकारियो से दो दिन के सम्मेलन में लंबित पड़े टैक्स विवादों को समाप्त करने के लिए नई कार्य योजना तैयार करने को कहा.


जीएसटी
पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था, वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी के फायदों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा है कि इससे व्यवस्था में खुलापन तो आया है, साथ ही बड़ी बात ये है कि दो महीने में 17 लाख नए कर दाता जुड़े हैं. मोदी ने कहा है कि नई कर व्यवस्था का फायदा सभी व्यापारियों को मिले, इसके लिए जरुरी है कि सभी व्यापारी नई कर व्यवस्था से जुड़े. इसमें वो व्यापारी भी शामिल हैं जिनका सालाना कारोबार 20 लाख रुपये से कम है. प्रधानमंत्री ने कर अधिकारियों से ऐसे छोटे व्यापारियों के लिए खास व्यवस्था तैयार करने को कहा.


कर व्यवस्था में सुधार
प्रधानमंत्री ने कर अधिकारियों से 2022 तक कर व्यवस्था को सुधारने के लिए स्पष्ट लक्ष्य तय करने को कहा. उन्होंने कहा कि केद्र सरकार ऐसा माहौल तैयार कर रही है जिसमें भष्ट्राचारियों को झटका लगेगा लेकिन ईमानदार करदाताओं के बीच भरोसा और विश्वास पैदा होगा. इस सिलसिले में उन्होने सरकार की ओर से उठाए गए कदमों जैसे नोटबंदी, काला धन व बेनामी संपत्ति के खिलाफ कड़े कानून का जिक्र किया.


मोदी ने अधिकारियों से अपने कामकाज में सुधार लाने को कहा. उनकी राय में कामकाज में शीघ्र कार्रवाई के साथ-साथ प्रदर्शन को मापने जैसी बातें भी शामिल होनी चाहिए. मोदी की राय में करदाताओं से व्यवहार में मानवीय दखल नहीं के बराबर होने चाहिए. इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो.