बैंकों को अब हाई मार्जिन क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन पर जोर देना महंगा पड़ने लगा है. खास कर प्राइवेट बैंकों की इस मामले में अपनी स्ट्रेटजी अब मुश्किल दिखने लगी है. बैंकों का रिटेल पोर्टफोलियो अब इन दिक्कतों से जूझ रहा है क्योंकि बड़ी तादाद में लोगों की नौकरियां जाने और वेतन में कटौती से उनके लिए कर्ज लौटाना और क्रेडिट कार्ड का री-पेमेंट मुश्किल हो रहा है. सार्वजनिक बैंकों की तुलना में प्राइवेट बैंकों का रिटेल लोन पोर्टफोलियो ज्यादा दबाव में है. संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक निजी बैंकों का कर्ज ज्यादा फंसा हुआ है. इसमें फंसा हुआ और री-स्ट्रक्चर्ड दोनों लोन शामिल है.
प्राइवेट बैंकों की स्थित सार्वजनिक बैंकों की तुलना में खराब
हालांकि ज्यादातर बैंकों ने अपने रिटेल और कॉरपोरेट सेगमेंट के लोन का ब्रेक-अप नहीं दिया है लेकिन आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च, 2020 से दिसंबर 2020 तक रिटेल पोर्टफोलियो के विश्लेषण से पता चला कि सार्वजनिक और निजी बैंक, दोनों में लोन अदायगी में ग्राहकों को दिक्कतें आ रही हैं क्योंकि कोरोना संक्रमण के दौर में उनकी कमाई घट गई है. हालांकि प्राइवेट बैंकों पर इसका दबाव ज्यादा है. एचडीएफसी बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक, आईडीबीआई बैंक,कोटक महिंद्रा बैंक की स्थिति इस मामले में खराब है. जिन नौ बैंकों के ग्राहकों के कर्ज लौटाने में दिक्कतें आ रही हैं उनमें दो सार्वजनिक और सात प्राइवेट बैंक हैं.
एजुकेशन लोन में एनपीए 9.55 फीसदी तक पहुंचा
अनसिक्योर्ड लोन सेगमेंट में प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी ज्यादा है. अनसिक्योर्ड लोन बगैर किसी गिरवी के दिए जाते हैं. फिलहाल सभी बैंक अनसिक्योर्ड लोन की वसूली के मामले में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. इसलिए इस पोर्टफोलियो में वह अब सावधानी भी बरत रहे हैं. क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और माइक्रोफाइनेंस जैसे लोन में डिफॉल्ट काफी बढ़ चुका है. दिसंबर 2020 में एजुकेशन लोन में एनपीए बढ़ कर 9.55 फीसदी पर पहुंच चुका है. मार्च में यह 7.61 फीसदी था.
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