Loksabha Elections: लोकसभा चुनावों का असर, इतनी बढ़ने वाली है जेट-हेलीकॉप्टरों की डिमांड
General Elections 2024: चुनावों में चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टर की इंडस्ट्री में काफी तेजी आ जाती है. कम समय में ज्यादा जनसंपर्क करने के लिए नेता इनका इस्तेमाल करते हैं...
देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ रही है. जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है और तापमान बढ़ रहा है, राजनीति का तापमान भी बढ़ता जा रहा है. इसके साथ ही अर्थव्यवस्था के कुछ सेक्टरों के लिए भी गर्मियां बढ़ने लगी हैं. एक रिपोर्ट बताती है कि आने वाले महीनों में जब चुनावी सीजन अपने उफान पर होगा, देश में प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टरों की मांग पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में 40 फीसदी तक बढ़ जाएगी.
5 साल में एक बार आता है मौका
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक हालिया रिपोर्ट में इंडस्ट्री से जुड़े एक्सपर्ट्स के हवाले से ऐसा दावा किया जा रहा है. यह दावा अस्वाभाविक भी नहीं है. दरअसल देश में लोकसभा की कुल 543 सीट है. यानी एक साथ पूरे देश में 543 सीटों पर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि आमने-सामने होते हैं. यह सभी राजनीतिक दलों और नेताओं-कार्यकर्ताओं के लिए 5 साल में एक बार आने वाला मौका आता है, इस कारण हर कोई जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगा देता है.
एक से डेढ़ महीने का समय
मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल मई में समाप्त हो रहा है. उससे पहले लोकसभा चुनाव संपन्न कराने होंगे. अभी चुनावों की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन राजनीतिक गालियारे के जानकार एक-दो सप्ताह के भीतर ऐलान होने की बात कह रहे हैं. मतलब एक-डेढ़ महीने के भीतर 543 सीटों पर चुनाव होंगे. ऐसे में राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों के पास ज्यादा से ज्यादा चुनाव प्रचार करने के लिए बहुत कम समय रहता है. समय बचाने के लिए स्टार प्रचारक प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करते हैं. इससे उन्हें कम समय में ज्यादा रैलियां व जनसंपर्क करने में मदद मिलती है.
हेलीकॉप्टरों की ज्यादा डिमांड
पीटीआई की रिपोर्ट की मानें तो चुनावी सीजन में प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टरों की ओवरऑल मांग में 40 फीसदी की तेजी देखी जा सकती है. रिपोर्ट में इस बात का भी अनुमान दिया गया है कि प्राइवेट जेट की तुलना में हेलीकॉप्टर की मांग ज्यादा रह सकती है, क्योंकि ये दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों के लिए ज्यादा अनुकूल साबित होते हैं. फिक्स विंग वाले जेट को उड़ान भरने और उतरने के लिए बुनियादी संरचना की जरूरत पड़ जाती है, जबकि हेलीकॉप्टर को कहीं भी आसानी से उतारा जा सकता है.
कंपनियां कर रही हैं ये तैयारी
इसके लिए कंपनियों ने भी तैयारियां तेज कर दी है. रिपोर्ट में क्लब वन एयर के सीईओ राजन मेहरा के हवाले से कहा गया है कि प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टरों की उपलब्धता सीमित है. चुनावी सीजन में जैसी मांग की उम्मीद है, वह उपलब्धता से काफी ज्यादा हो सकता है. ऐसे में संभावित मांग की पूर्ति करने के लिए कंपनियां लीज पर प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टर मंगाकर अपने बेड़े का साइज बढ़ा रही हैं.
हर घंटे लाखों में किराया
किराए की बात करें तो आवागमन के ये लग्जरी साधन काफी महंगे साबित होते हैं. इंडस्ट्री के एक्सपर्ट बताते हैं कि प्राइवेट जेट यानी चार्टर्ड प्लेन का किराया साढ़े चार लाख रुपये से सवा पांच लाख रुपये प्रति घंटे तक जा सकता है. वहीं हेलीकॉप्टर के लिए हर घंटे किराए के तौर पर लगभग डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करा पड़ सकता है.
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