नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की संभावना से इनकार किया है. पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद फिर से बैंकों के निजीकरण की मांग उठने लगी है. उद्योग मंडल एसोचैम ने भी सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 50 फीसदी से कम पर लाने को कहा है. कुछ उद्योगपतियों ने भी बैंकों के निजीकरण का समर्थन किया है.
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को राजनीतिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाएगा. इकनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि पीएनबी घोटाले के बाद काफी लोगों ने निजीकरण की बात शुरू कर दी है.
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसके लिए बड़ी राजनीतिक सहमति की जरूरत है, साथ ही बैंकिंग नियमन कानून का भी संशोधन करना पड़ेगा, मुझे लगता है कि भारत में राजनीतिक रूप से इस विचार के पक्ष में समर्थन नहीं जुटाया जा सकता, यह काफी चुनौतीपूर्ण फैसला होगा.’’
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष रासेश शाह ने शुक्रवार को वित्त मंत्री से मुलाकात कर सिलसिलेवार तरीके से बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह किया था. शाह ने कहा था कि सार्वजनिक क्षेत्र में सिर्फ दो-तीन बैंक होने चाहिए. इसके अलावा एसोचैम ने भी वित्त मंत्री से बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था.
गोदरेज समूह के आदि गोदरेज का कहना है कि निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी बिलकुल नहीं होगी या बहुत कम होगी, बजाज समूह के प्रमुख राहुल बजाज भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के पक्ष में हैं.
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सरकारी बैंकों का नहीं होगा निजीकरणः वित्त मंत्री ने किया इंकार
एजेंसी
Updated at:
24 Feb 2018 03:48 PM (IST)
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इसके लिए बड़ी राजनीतिक सहमति की जरूरत है, साथ ही बैंकिंग नियमन कानून का भी संशोधन करना पड़ेगा.
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