नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जेपी की आवासीय परियोजनाओं में पैसा लगाने वालों के लिए बुरी खबर. आईडीबीआई बैंक की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी ने जेपी समूह की अग्रणी कंपनी जेपी इंफ्राटेक के खिलाफ दिवालिया कानून (Bankruptcy and Insolvency Code) के तहत कार्यवाही शुरु करने का निर्देश दिया है.
मीडिया खबरों के मुताबिक, जेफी इंफ्राटेक ने दिल्ली से सटे नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे के ईर्द-गिर्द करीब 32 हजार बनाने का प्रस्ताव रखा. कंपनी के प्रोजेक्ट में पेंटहाउस, विला और प्लॉट वगैरह का भी प्रस्ताव है. कंपनी ने 165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे भी बनाया है जो नोएडा को आगरा से जोड़ता है. कंपनी की तमाम आवासीय परियोजनाओं में चार-चार साल तक की देरी हो चुकी है औऱ इसे लेकर अदालतों में मामले में भी लंबित है. अब ये साफ नहीं है कि दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही शुरु होने के बाद इन परियोनजाओं के ग्राहकों का क्या होगा.
दूसरी ओर इस बारे में बातचीत के लिए कंपनी का कोई अधिकारी अभी तक सामने नहीं आया है. वैसे कंपनी सूत्रों का दावा है कि ग्राहकों को चिंतित होने की जरुरत नहीं. उनके साथ हुए करार को पूरा किया जाएगा.
क्या है ट्रिब्यूनल का आदेश
अब दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रोफेशनल की नियुक्ति की जाएगी जबकि कंपनी के निदेशक बोर्ड को निलंबित कर दिया गया है. ये प्रोफेशनल, कंपनी प्रबंधन और बैंकों के साथ मिलकर कंपनी की वित्तीय स्थिति सुधारने और कर्ज चुकाने का रास्ता ढ़ुंढ़ने की कोशिश करेगा जिसमें शुरुआती तौर पर छह महीने का समय मिलेगा जिसे बाद में तीन महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है. इसके बाद भी अगर कंपनी की माली हालत नही सुधरी और कर्ज चुकाने का रास्ता नहीं निकला तो बैंक उसकी संपत्ति बेचने का काम शुरु कर सकते है.
ट्रिब्यूनल की इलाहाबाद बेंच के आदेश के मुताबिक, 526.11 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है. चूंकि ये एक लाख रुपये से कहीं ज्यादा है. इसीलिए आईडीबीआई बैंक ने बेंच के सामने दिवालियापन कानून के तहत कार्यवाही शुरु करने का प्रस्ताव किया. पहले जेपी समूह ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जतायी थी, लेकिन 4 अगस्त को उसने अपनी आपत्ति वापस ले ली. आपत्ति वापस लेने के पीछे कंपनी ने साफ किया कि वो तमाम बैंकों और उसकी परियोजनाओं में घर खरीदने वालों के हितों को देखते हुए ही उसने ये कदम उठाया. इसी के बाद इलाहाबाद बेंच ने अपना फैसला सुना दिया.
फैसला 9 अगस्त से प्रभावी माना जाएगा. अब अगर इसमें ज्यादा से ज्यादा नौ महीने का समय जोड़ दें तो अप्रैल तक वित्तीय स्थिति सुधारने का समय है जिसके बाद संपत्तियों की नीलामी शुरु हो सकती है. अब दिकक्त ये है कि कंपनी की संपत्तियों पर पहला हक बैंकों का है जिन्होने कर्ज दे रखा है. अब नीलामी होने की सूरत में हुई कमाई से सबसे पहले बैंक अपना कर्ज वापस लेंगे. अब ऐसे में आधे-अधूरे परियोजनाओं के ग्राहकों के हितों का क्या होगा, ये देखना बाकी है.
नया दिवालिया कानून
संसद से मंजूर हुए नए दिवालिया कानून के तहत जेपी इंफ्रा समेत 12 कंपनियों में फंसे कर्ज की वसूली के लिए रिजर्व बैक के निर्देश पर बैकों की ओऱ से जरुरी कदम उठाया जा रहा है. इसी के मद्देनजर एनसीएलटी के अलग-अलग बेंच के सामने मामले लाए गए. इसमे से 10 में कार्यवाही शुरु करने का आदेश दे दिया गया है जबकि दो मामले लंबित है. ये 12 मामले ऐसे हैं 31 मार्च 2016 को जहां बकाये की रकम 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. इन 12 खातों में ही कुल फंसे कर्ज का करीब 25 फीसदी बनता है.
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ABP News Bureau
Updated at:
10 Aug 2017 07:07 PM (IST)
जेपी इंफ्राटेक की तमाम आवासीय परियोजनाओं में 4-4 साल तक की देरी हो चुकी है औऱ इसे लेकर अदालतों में मामले में भी लंबित है. अब ये साफ नहीं है कि दिवालिया कानून के तहत कार्यवाही शुरु होने के बाद इन परियोनजाओं के ग्राहकों का क्या होगा.
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