Outlook 2023: देश का बजट आने वाला है और इसके लिए काफी पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. अलग-अलग सेक्टर्स अपनी मांगों और उम्मीदों को लेकर वित्त मंत्रालय के सामने प्रस्ताव रखते हैं जिससे उन्हें मनचाही आर्थिक राशि आवंटन का फायदा मिल सके. कल हमने आपको एमएसएमई सेक्टर की मांगों के बारे में बताया था और आज हम आपसे रियल्टी या रियल स्टेट सेक्टर के बारे में बात करने वाले हैं. 


रेसीडेंशियल रियल एस्टेट


हाउसिंग सेल्स की बात करें तो साल 2022 इसके लिए अच्छा साबित हुआ है और इसके साथ ही अब साल 2023 के लिए अच्छी उम्मीदों का खाका खींचा जा रहा है. मौजूदा बिक्री का मूमेंटम साल 2023 की पहली तिमाही तक जारी रह सकता है, लिहाजा घर खरीदारों और रेसीडेंशियल प्रॉपर्टी ओनर्स के साथ नए खरीदारों को भी मांग है कि वो रेपो रेट हाइक और प्रॉपर्टी की कीमतों के ऊपर जो फैसले चाहते हैं, उनके बारे में सोचा जाए. साल 2022 में कुल 2.25 फीसदी की बढ़त रेपो रेट में देखी जा चुकी है और होम लोन के रेट तुरंत ऊपर चढ़ने से पीछे नहीं रहे.


दरों में बढ़ोतरी का दिखा निगेटिव असर


अभी तक देखा जाए तो रेपो रेट हाइक का घरों की कीमतों पर हल्का-फुल्का असर देखा गया है लेकिन किफायती घरों की खरीदारी करने वाले घर खरीदारों ने अपने हाथ इससे पीछे खींचे हैं. मिड इंकम ग्रुप और लग्जरी हाउसिंग की घरों की बिक्री पर ज्यादा असर नहीं देखा गया है, हालांकि फिर भी हरेक सेगमेंट की एक क्षमता होती है कि वो किस हद तक घरों के महंगे होने के असर को झेल सकते हैं.


एनारॉक के ताजा कंज्यूमर सेंटीमेंट सर्वे से जानें बड़ी बातें


एनारॉक (ANAROCK) के ताजा कंज्यूमर सेंटीमेंट सर्वे से साफ तौर पर पता चलता है कि अगर होम लोन की ब्याज दरें 9.5 फीसदी से ऊपर जाती हैं तो हम खास तौर पर घरों की बिक्री के घटने का असर देख सकते हैं.


साल 2023 में नए लॉन्च में ज्यादा तेजी की गुंजाइश नहीं


2023 में भी हम नए लॉन्च में ज्यादा तेजी नहीं देखेंगे और ज्यादातर शहरों में ही ऐसा ही होगा जैसा कि साल 2022 में हमने सीमित क्षमता में देखा. प्रॉपर्टी डेवलपर्स बाजार में और ज्यादा इंवेट्री डालने के लिए उत्सुक नहीं हैं और इसके साथ ही वो उन जगहों पर नई जगहों पर नए प्रोजेक्ट लाने से बचेंगे जहां कम मांग का डर है. इसको और अधिक विस्तार से कहें तो एनसीआर का उदाहरण लें जैसे यहां पहले अत्याधिक प्रॉपर्टी डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट लेकर आ रहे थे जिसके नतीजे के रूप में यहां बेहिसाब इंवेंट्री हो गईं. साल 2022 में डेवलपर्स की सतर्क नजरिये का असर देखा गया और यही ट्रेंड साल 2023 में भी जारी रहने की उम्मीद है.


अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसलों पर भी रहेगी नजर


अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व का ब्याज दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहा तो भारत में हाउसिंग डिमांड पर भी इसका असर देखा जा सकता है. अमेरिका में आईटी के प्रोफेशनल्स की नौकरियों पर अगर आंच आती है तो इसका असर घर खरीद के आंकड़ों में देखा जा सकता है. अमेरिकी बाजारों के गिरावट के असर से भारतीय बाजार पर जैसा निगेटिव असर आता है वो असर हाउसिंग डिमांड पर भी आ सकता है.


हाउसिंग डिमांड पर देखा जाएगा असर


स्टॉक्स की कमाई में गिरावट आने से हाउसिंग डिमांड के ऊपर भी गिरावट का असर आ सकता है क्योंकि इसकी कमाई को कई प्रोफेशनल्स घरों के लिए इस्तेमाल करते हैं. होम लोन की दरें बढ़ने से घरों की मांग पर पहले ही असर आ रहा है. जैसा कि हमने आपको बताया कि घरों की नई सप्लाई भी कम हो रही है जिससे हाउसिंग सेक्टर के लिए मुश्किलें कम होने की बजाए बढ़ ही रही हैं. रेडी टू मूव-इन हाउसिंग की डिमांड साल 2023 में भी सबसे ज्यादा रहेगी.


कमर्शियल रियल एस्टेट के लिए कैसा है रुझान


कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए भी ब्याज दरों के बढ़ने का सिलसिला ज्यादा अच्छा नहीं रहेगा और इसके असर से साल 2023 में भी कुछ चिंताएं हावी रहने वाली हैं. ग्लोबल आर्थिक मंदी का असर भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट ऑफिस मार्केट पर जरूर आ सकता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये सेक्टर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कॉरपोरेट्स के जरिए आने वाली रकम के ऊपर बड़े भारी तरह से निर्भर करता है.


कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए जरूरी कारक


ये जानने के लिए कौन से कारक भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए खतरनाक हो सकते हैं, हमें ये जानना होगा कि कौनसे सेक्टर्स इसको ऊपर उठाते हैं. देखा जाए तो देश के 70 फीसदी ऑफिसेज इस समय विदेशी कंपनियों के लिए बने हुए हैं और इनमें काम करने वाले कर्मचारियों के लिए ये काफी बड़ा विषय है कि अगर आर्थिक मंदी आती तो उनके रियल एस्टेट से जुड़े भविष्य का क्या होगा. 


साल 2022 में कैसा रहा प्रदर्शन


साल 2020 तो भारतीय कमर्शियल ऑफिस मार्केट्स के लिए धीमा और सुस्त साल था पर साल 2021 में मांग और आपूर्ति में तेजी देखी गई और इसमें अच्छी ग्रोथ रही. 2022 की पहली छमाही में भी इस सेक्टर के लिए अच्छा रुझान बना रहा. हालांकि साल 2022 की दूसरी छमाही से ग्लोबल आर्थिक मंदी के चलते कमर्शियल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए संकट के बादल मंडराने लगे हैं. लिहाजा ग्लोबल कॉरपोरेट्स अपने नए ऑफिस किसी भी देश में खोलने से पहले इसके बेहतर परिणाम के बारे में आश्वस्त होना चाहते हैं.


पट्टे पर लिए जाने वाले ऑफिसेज की मांग घटी


इस साल के आखिर तक आते आते ग्रेड ए ऑफिस जो पट्टे पर लिए जाते हैं उनकी टॉप 7 शहरों में मांग 6-7 फीसदी कम हो गई है और ये साल 2021 के मुकाबले का आंकड़ा है. पट्टे पर लिए जाने वाले ऑफिसेज की संख्या में कमी तेजी से बढ़ती जा रही है. 


साल 2023 में कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिहाज से कैसा है रुझान


अमेरिका में आर्थिक मंदी इस तरह के संकेतों के चलते और असर डालेगी जिससे मल्टीनेशनल कंपनियों के ऑफिस पट्टे पर लिए जाने की रफ्तार कम होगी. हालांकि पट्टे पर लिए जाने वाले ऑफिसेज की संख्या कम हो रही है लेकिन 2022 के जो सौदे किए गए हैं वो इस बात का इशारा दिखा रहे हैं कि प्रॉपर्टी खरीदार आश्वस्त हैं और भविष्य में किराए पर लिए जाने वाले दफ्तरों की संख्या में तेजी देखी जा सकती है.


साल 2022 में अभी तक अच्छा संकेत


साल 2022 के पहले 9 महीनों में प्रॉपर्टी के दाम जिस स्तर पर रहे हैं वो इससे पिछले साल के मुकाबले ठीकठाक ही नजर आ रहे हैं. साल के पहले 9 महीनों में जो डील पूरी हुई हैं वो साल 2021 के पहले 9 महीनों के मुकाबले हुई डील्स में 7-10 फीसदी की बढ़ोतरी दिखा रही हैं. कमर्शियल रियल एस्टेट प्रॉपर्टी सेक्टर के लिए साल 2023 के संकेत निगेटिव और पॉजिटिव दोनों तरह के नजर आ रहे हैं और इनसे ऐसा लग रहा है कि भारतीय प्रॉपर्टी सेक्टर के इस सेगमेंट को बड़े ध्यान से देखना होगा.


नोटः लेखक अनुज पुरी रियल एस्‍टेट कंसल्‍टेंसी फर्म एनारॉक ग्रुप के चेयरमैन हैं. लेख में प्रकाशित विचार उनके निजी हैं.