नई दिल्लीः सरकार ने आज पूंजी की कमी से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र (पीएसयू) के 20 बैंकों में 88,139 करोड़ रुपये की पूंजी डालने का एलान किया है. इसमें सबसे ज्यादा 10,610 करोड़ रुपये की पूंजी आईडीबीआई बैंक को दी जायेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उनके मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने को लेकर विस्तृत विचार विमर्श के बाद योजना तैयार की है.


सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 2.1 लाख करोड़ रुपये की नई पूंजी डालने की योजना का पिछले साल अक्तूबर में एलान किया गया था. इस योजना का क्रियान्वयन दो वित्त वर्षों 2017-18 और 2018-19 में किया जायेगा.


जानें किस बैंक को कितनी मिलेगी पूंजी
घोषणा के मुताबिक 31 मार्च को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय स्टेट बैंक को 8,800 करोड़ रुपये और बैंक आफ इंडिया को 9,232 करोड़ रुपये दिये जायेंगे.
इसके अलावा यूको बैंक को 6,507 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे.
पंजाब नेशनल बैंक को 5,473 करोड़ रुपये,
बैंक आफ बड़ौदा को 5,375 करोड़ रुपये, सैंट्रल बैंक आफ इंडिया को 5,158 करोड़ रुपये, केनारा बैंक को 4,865 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक को 4,694 करोड़ रुपये और यूनियन बैंक आफ इंडिया को 4,524 करोड़ रुपये दिये जायेंगे.


इसी प्रकार आरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स को 3571 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, देना बैंक को 3045 करोड़ रुपये, बैंक आफ महाराष्ट्र को 3173 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया को 2634 करोड़ रुपये, कार्पोरेशन बैंक को 2187 करोड़ रुपये, सिंडीकेट बैंक को 2839 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक को 1890 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक को 1500 करोड़ रुपये और पंजाब एण्ड सिंध बैंक को 785 करोड़ रुपये मिलेंगे.


जेटली ने यह घोषणा करते हुये कहा कि बैंकों की उच्च मानकों वाली संचालन व्यवस्था बनाने के लिये कदम उठाने की जरूरत है. बैंकों की पिछली स्थिति नहीं दोहराई जाये यह सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत प्रणाली की जरूरत है.


उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बड़ी समस्या विरासत में मिली और हम इस समस्या का हल ढूंढने में लगे रहे.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमारी भूमिका सिर्फ निदान तलाशने तक नहीं रही बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिये की जो कुछ पहले घटित हुआ वह दुबारा नहीं हो इसके लिये एक संस्थागत प्रणाली तैयार की जाये.’’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कर्ज में बड़ी राशि फंसी हुई है. इसका उनके प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ा है. यही वजह है कि उन्हें नई पूंजी की जरूरत पड़ी है.


जेटली ने कहा, ‘‘इस समूची पहल के पीछे यही मकसद है कि सरकार की यह सबसे बड़ी प्राथमिकता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अच्छी स्थिति में रखा जाये.’’ वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवा क्षेत्र के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण (रीका कार्य उनके प्रदर्शन और अपनाये गये सुधारों पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि बैंकों के 250 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की विशेष निगरानी होगी.