Income Tax TDS Rules: अगर आपने 50 लाख रुपये ( Above Rs 50 lakhs) से ज्यादा कीमत वाले फ्लैट्स या घर खरीद रहे हैं तो टैक्स के लिहाज से कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरुरी है. वर्ना आपकी मुश्किलें बढ़ सकती है. यदि प्रॉपर्टी ( Property) की कीमत 50 लाख रुपये से ज्यादा है तो इनकम टैक्स के कानून ( Income Tax Rules) के मुताबिक घर खरीदार ( Property Buyer) को प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 1 फीसदी रकम टीडीएस ( Tax Deducted At Source) काटकर ही घर के विक्रेता ( Property Seller) को भुगतान करना होगा और ये 1 फीसदी टीडीएस ( Tax Deducted At Source) इनकम टैक्स विभाग ( Income Tax Department) के पास जमा कराना होगा.

  


कैसे जमा होता है टीडीएस ( Tax Deducted At Source)


प्रॉपर्टी के खरीदार को www.tin-nsdl.com पर जाकर ट्रांजैक्शन को पूरा करना होगा. इसके लिये घर खरीदार के पास दो विकल्प है. पहला, वो  www.tin-nsdl.com वेबसाइट पर e-tax option को यूज करते हुये ऑनलाइन टीडीएस ( Online ) (Tax Deducted At Source) जमा कराना होगा.  जिस बैंक में अकाउंट है उसके नेट बैकिंग ( Net Banking) के जरिये ऑनलाइन टीडीएस जमा कराया जा सकता है या फिर ऑथराइज बैंक ( Authorised Banks) के शाखा में जाकर टीडीएस जमा किया जा सकता है.   


कैसे भरें फॉर्म 26QB 


www.tin-nsdl.com वेबसाइट पर  यूजर को सर्विसेज टैब ( Services Tab) पर क्लिक करने के बाद TDS on sale of property टैब पर क्लिक करना होगा. इसके बाद यूजर को Online form for furnishing TDS on property (Form 26QB) पर क्लिक करना होगा. इस फॉर्म में प्रॉपर्टी के डिटेल्स ( Details of Property), कितने में घर की डील हुई (sale consideration) खरीदार के पैन नंबर ( Buyer Pan Number) के साथ बेचने वाले के पैन नंबर ( Seller Pan Number) लिखना होगा. 


फॉर्म 26QB नहीं भरने पर लगेगा जुर्माना


जिस महीने में टीडीएस जमा कराया गया है उस महीने के खत्म होने के 7 दिनों के भीतर प्रॉपर्टी खरीदार ऑनलाइन जाकर 26QB फॉर्म नहीं भरता है तो इस non-compliance के लिये घर खरीदार को जुर्माना भरना होगा.  


ध्य़ान रखने वाली बात 


प्रॉपर्टी के खरीदार को  Tax Deduction Account Number (TAN) की आवश्यकता नहीं पड़ती है, उसे केवल खुद का और प्रॉपर्टी के विक्रेता का पैन नंबर चाहिये होता है. विक्रेता का पैन नंबर सही और ऑरिजनल हो ये सुनिश्चित करना बेहद जरुरी है, जिससे भविष्य में कोई परेशानी पैदा ना हो. ऑनलाइन सभी जानकारियां बेहद सावधानी के साथ भरें क्योंकि कोई गलती हो गई तो ऑनलाइन सुधार करने का कोई प्रावधान नहीं है.  गलत होने पर इनकम टैक्स विभाग को सुधार करने के लिये अनुरोध (Rectification requests) करना होगा. 


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