तेजी से उभर रहीं क्विक कॉमर्स कंपनियों को इस फेस्टिव सीजन में रोडब्लॉक का सामना करना पड़ सकता है. त्योहारों की शानदार बिक्री से पहले ही क्विक कॉमर्स कपनियों के ऊपर सीसीआई की जांच का साया मंडराने लगा है. सीसीआई की जांच में गड़बड़ियां पाई जाने पर इन कंपनियों के ऊपर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं.
डीपीआईआईटी को मिलीं रिटलेर्स से शिकायतें
मिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीपीआईआईटी यानी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) को क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच करने के लिए कहा है. रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय खुदरा दुकानदारों ने ब्लिंकिट और जेप्टो जैसी क्विक कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ डीपीआईआईटी के पास शिकायतें की हैं.
केंद्रीय मंत्री ने दी थी हाल ही में वॉर्निंग
मिंट ने मामले से जुड़े दो सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. क्विक कॉमर्स कंपनियों की सीसीआई के द्वारा जांच होने की यह खबर ऐसे समय सामने आई है, जब हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की इस बारे में टिप्पणी आ चुकी है. गोयल ने ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा सोशल डिसरप्शन की आशंका और प्रिडेटरी प्राइसिंग के खतरे को लेकर वॉर्निंग दी थी.
इस तरह समाप्त हो रहा बाजार से कंपटीशन
प्रिडेटरी प्राइसिंग उस ट्रेंड को कहते हैं, जब किसी सेलर के द्वारा बहुत ज्यादा डिस्काउंट ऑफर कर दिया जाता है. ऐसे में बाकी सेलर्स के लिए कंपटीशन खत्म हो जाता है. उदाहरण के लिए- फेस्टिव सीजन सेल में क्विक-कॉमर्स प्लटफॉर्म समेत ई-कॉमर्स कंपनियां भारी-भरकम डिस्काउंट लेकर आती हैं. पारंपरिक खुदरा दुकानदार खासकर छोटी दुकानें चलाने वाले वैसे में उनका मुकाबला नहीं कर पाते हैं और उनका बाजार खतरे में पड़ जाता है.
क्विक कॉमर्स के साथ आईं ये चुनौतियां
ई-कॉमर्स के उभार ने प्रिडेटरी प्राइसिंग और उसके चलते बाजार में कंपटीशन प्रभावित होने की आशंकाएं बढ़ा दी है. अभी क्विक कॉमर्स कंपनियों के उभार ने अलग तरह की चुनौती खड़ी कर दी है. क्विक कॉमर्स कंपनियां डिस्काउंट के साथ 10 मिनट में डिलीवरी कर रही हैं. मतलब आपको खुद जाकर पास-पड़ोस की दुकान से सामान खरीदने में जितना समय लगेगा, कई मामलों में ये कंपनियां उससे जल्दी सामान आपके घर पहुंचा रही हैं. साथ में आपको ज्यादा डिस्काउंट भी ऑफर कर रही हैं. यह स्थानीय दुकानदारों का बिजनेस समाप्त कर सकता है. इस कारण क्विक कॉमर्स कंपनियों पर सीसीआई के द्वारा पाबंदियां लगाई जा सकती हैं.
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