Raghuram Rajan: रघुराम राजन ने कहा- नई नौकरियां पैदा करना भारत के लिए चुनौती, 1.4 अरब लोगों की शक्ति का नहीं हो रहा इस्तेमाल
Raghuram Rajan on Economy: आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सरकार को सलाह दी है कि उन्हें अपना सारा ध्यान सिर्फ नौकरियां पैदा करने में लगाना चाहिए.
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Raghuram Rajan on Economy: भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. मगर, इसके सामने सबसे बड़ी चुनौती नई नौकरियां पैदा करना है. इसके लिए देश को कौशल विकास पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. यह कहना है आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का. वह रोहित लांबा के साथ मिलकर लिखी अपनी किताब ‘ब्रेकिंग द मोल्ड : रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर’ के बारे में बात कर रहे थे.
1.4 अरब लोगों की शक्ति है भारत के पास
राजन ने कहा कि भारत के पास 1.4 अरब लोगों की शक्ति है. अब सवाल यह है कि इस शक्ति को कैसे मजबूत कर इसका इस्तेमाल किया जाए. विकास के इस पथ पर बढ़ने के लिए देश को नई नौकरियां पैदा करनी होंगी. इसमें सबसे बड़ा रोल प्राइवेट सेक्टर निभाने वाला है. उन्होंने चिंता जताई कि कई राज्य नौकरियों को अपने निवासियों के लिए रिजर्व करते जा रहे हैं, जो कि चिंता का विषय है. इससे पता चलता है कि राज्य नौकरियां पैदा करने में विफल हो रहे हैं. नौकरियां सभी के लिए उपलब्ध होनी चाहिए.
पलायन ने हमें बहुत फायदा पहुंचाया
रघुराम राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मजदूरों के पलायन ने काफी फायदा पहुंचाया है. यदि हम लोगों की प्राथमिक शिक्षा पर ध्यान दें और उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण दें तो अगले छह महीनों में ही कई प्रकार की नौकरियां पैदा होने लगेंगी. इसके लिए हमें 10 साल तक रुकने की कोई जरूरत नहीं है. यदि हम मानव संसाधन के विकास पर ध्यान देंगे तो नौकरियां अपने आप पैदा होने लगेंगी. हम लगातार कंपनियों से सुनते हैं कि उन्हें अच्छे लोग नहीं मिल रहे हैं.
गवर्नेंस सुधारने पर दिया जाए ध्यान
आरबीआई के पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि सरकार को गवर्नेंस में सुधार लाने के प्रयास लगातार करने चाहिए. हम संवैधानिक संस्थाओं को जितनी ज्यादा ताकत देंगे, उतना ही अधिक फायदा इकोनॉमी को होगा. हमें गरीब एवं माध्यम वर्ग के हितों के लिए और ज्यादा योजनाएं बनानी होंगी. भारत को मजबूत लोकतंत्र की जरूरत है.
आंकड़े क्यों इकट्ठे नहीं कर रही सरकार
फिलहाल जो वृद्धि हो रही है, उसके हिसाब से उतनी नौकरियां नहीं पैदा हो रहीं. भारत ने पिछले छह सालों से खपत के आंकड़े नहीं इकट्ठे किए हैं. ऐसा शायद इसलिए है कि इनसे गरीबी के आंकड़े बाहर आ जाते थे. जनगणना भी 2011 में हुई थी. उन्होंने कहा कि हम मैन्युफक्चरिंग के खिलाफ नहीं हैं बल्कि उन्हें दी जाने वाली भारी सब्सिडी की मुखालफत करते हैं.
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