यादों में Rahul Bajaj: वो निडर उद्योगपति जिन्होंने मध्यमवर्ग की आकांक्षाओं को 'पंख' दिए, 'हमारा बजाज' को घर-घर तक पहुंचाया
Rahul Bajaj Memories: राहुल बजाज के नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से 12,000 करोड़ रुपये हो गया. 2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा.
Rahul Bajaj Memories: उदारीकरण से पहले के दौर में भारत में ‘हमारा बजाज’ धुन एक वक्त मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की महत्वाकांक्षा का प्रतीक थी और उनके बेहतर भविष्य की आकांक्षाओं को प्रतिध्वनित करती थी. यह धुन थी बजाज ऑटो की और इसके पीछे बेहद बड़े कद वाले बेखौफ उद्योगपति थे राहुल बजाज. स्पष्ट और खुलकर बोलने वाले राहुल बजाज ने परमिट राज के दौरान दो पहिया और तीन पहिया वाहनों का ब्रांड स्थापित करके अपना दम दिखाया था.
शनिवार को हुआ राहुल बजाज का निधन
बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन राहुल बजाज का शनिवार को पुणे में उनके आवास पर निधन हो गया. वह 83 वर्ष के थे. उन्होंने बजाज ऑटो में गैर-कार्यकारी निदेशक और चेयरमैन पद से पिछले वर्ष 30 अप्रैल को इस्तीफा दिया था हालांकि वह चेयरमैन एमेरिटस बने रहे.
डरने वालों में से नहीं थे राहुल बजाज
बिना लाग लपेट के अपनी बात रखने वाले बजाज कूटनीति में पारंगत अन्य उद्योगपतियों से अलग थे, साफगोई उनकी खासियत थी भले इसकी वजह से सरकार के साथ ठन जाए, चाहे अपने खुद के बेटे के साथ आमना-सामना हो जाए. नवंबर 2019 की बात है, उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, समेत मंत्रियों के एक समूह पर चुभने वाले सवाल दाग दिए थे.
राहुल बजाज का व्यक्तिगत जीवन
राहुल बजाज का जन्म 10 जून 1938 को कलकत्ता में हुआ था. उनके दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी. बजाज ने दिल्ली के स्टीफन कॉलेज से स्नातक और अमेरिका के हार्वर्ड बिजने स्कूल से एमबीए किया. अपने पिता कमलनयन बजाज की टीम में उप महाप्रबंधक के रूप में उन्होंने काम शुरू किया और 1968 में 30 साल की उम्र में वह मुख्य कार्यपालक अधिकारी बने.
12,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाया बजाज ऑटो को
ऑटोमोबाइल, जनरल बीमा और जीवन बीमा, निवेश और उपभोक्ता फाइनेंस, घरेलू उपकरण, इलेक्ट्रिक लैंप, पवन ऊर्जा, स्टेनलेस स्टील जैसे क्षेत्रों में कारोबार करने वाले बजाज समूह का नेतृत्व संभालकर उन्होंने इसे वृद्धि के रास्ते पर बढ़ाया. उनके नेतृत्व में बजाज ऑटो का कारोबार 7.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 12,000 करोड़ रुपये हो गया. 2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन इकाईयों-बजाज ऑटो, बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी में बांटा. उनके बेटे राजीव बजाज और संजीव बजाज ऑटो और फाइनेंस कंपनियों को संभाल रहे हैं.
2005 में सौंपी बेटे को जिम्मेदारी
2005 में उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी धीरे-धीरे अपने बेटे राजीव बजाज को सौंपनी शुरू की. राजीव बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बन गए और कंपनी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया.
बजाज को बनाया घर-घर का साथी
कंपनी का बजाज चेतक स्कूटर मध्यमवर्गीय भारतीय परिवारों की आकांक्षा का प्रतीक बना. हालांकि जब राजीव ने 2009 में स्कूटर को छोड़कर बजाज ऑटो में पूरा ध्यान मोटरसाइकिल विनिर्माण पर देना शुरू किया तो राहुल बजाज ने अपनी निराशा नहीं छिपाई. उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा, ‘‘मुझे बुरा लगा, दुख हुआ.’’
कई अवॉर्ड से हुए सम्मानित
बजाज जून 2006 में राज्यसभा में मनोनीत हुए और 2010 तक सदस्य रहे. उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था और कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि दी गई. वह इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन, आईआईटी-बॉम्बे के निदेशक मंडल के चेयरमैन समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. आज तक वह ऐसे इकलौते व्यक्ति रहे जो उद्योग चैंबर सीआईआई के दो बार अध्यक्ष रहे, पहली बार 1979-80 और फिर 1999 से 2000 तक इस पद को राहुल बजाज ने संभाला.
सरकार की आलोचना पर खुलकर बोले
मुंबई में नवंबर 2019 में उन्होंने एक कार्यक्रम में सरकार द्वारा आलोचना को दबाने के बारे में खुलकर बोला जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे. उन्होंने कहा था, ‘‘भय का माहौल है, यह निश्चित ही हमारे मन मस्तिष्क पर है. आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं उसके बावजूद हमें भरोसा नहीं कि आप आलोचना को स्वीकार करेंगे.’’
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