Banks NPA News: सरकारी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए (Gross NPA) एक दशक के निचले लेवल पर आ गया है. वित्त वर्ष 2024-25 के सितंबर महीने में पब्लिक सेक्टर बैंकों (Public SEctor Banks) का ग्रॉस एनपीए घटकर 3.12 फीसदी रहा है जो मार्च 2018 में 14.98 फीसदी हुआ करता था. वित्त मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में सरकारी बैंकों का मुनाफा रिकॉर्ड हाई 1.41 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा था. पर सवाल उठता है कि आखिर क्यों सरकारी बैंकों के प्रदर्शन को लेकर वित्त मंत्रालय ने ये रिपोर्ट कार्ड जारी किया है.
राहुल गांधी ने बैंकों को लेकर सरकार को घेरा
वित्त मंत्रालय की ओर से सरकारी बैंकों के प्रदर्शन को लेकर ये रिपोर्ट कार्ड तब आया है जब बैंक यूनियनों के लोग लोकसभा (Loksabha) में नेता विपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से मिले थे जिसमें इन बैंकों यूनियन के लोगों ने राहुल गांधी से पब्लिक सेक्टर बैंकों की हालत, ट्रांसफर पॉलिसी में पारदर्शिता के ना होने, कर्मचारियों की कमी और बैंकों में कामकाज के टॉक्सिक माहौल (Toxic Work Environment) का मुद्दा उठाया था. इसे लेकर राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट के जरिए सरकार को घेरा भी.
वित्त मंत्री ने राहुल गांधी पर किया पलटवार!
राहुल गांधी के बैंक यूनियन के नेताओं से मुलाकात के बाद उन्होंने पब्लिक सेक्टर बैंकों की हालत पर जो सवाल खड़े किए उसपर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान बैंकों में बढ़े एनपीए को लेकर राहुल गांधी पर जोरदार हमला बोला. निर्मला सीतारमण ने अपने पोस्ट में लिखा, राहुल गांधी की बेबुनियाद बयानबाजी फिर सामने आ गई है. उन्होंने कहा, भारत के बैंकिंग क्षेत्र, खासतौर पर पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं.
वित्त मंत्री ने सवाल किया, क्या विपक्ष के नेता से मिलने वालों ने उन्हें नहीं बताया कि कांग्रेस के UPA शासन के दौर में कॉरपोरेट क्रेडिट के अत्यधिक केंद्रीकरण और अंधाधुंध लोन बांटने के चलते ही सरकारी बैंकों की सेहत बिगाड़ गई थी? तब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सत्ता में बैठे लोगों के खास मित्रों के लिए ATM की तरह इस्तेमाल किया जाता था. वित्त मंत्री ने कहा UPA शासन के दौरान ही बैंक कर्मचारियों को डराकर, फ़ोन बैंकिंग के ज़रिए अपने चहेतों को मनमाने लोन देने पर मजबूर किया जाता था.
राहुल के हमले के बाद आया रिपोर्ट कार्ड
वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों को लेकर जारी किए गए रिपोर्ट कार्ड में बताया कि, साल 2015 से सरकार ने पारदर्शिता के साथ बैंकों के एनपीए की पहचान करने और इन बैंकों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए 4R की रणनिति को अपनाया है जिसमें रिजॉल्युशन और रिकवरी के साथ सरकारी बैंकों के रिकैपिटलाइजिंग और फाइनेंशियल सिस्टम में रिफॉर्म्स शामिल है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार लगातार बैंकिंग इकोसिस्टम को सपोर्ट कर रही है साथ ही बिजनेस के साथ बैंकों के कर्मचारियों के वेलफेयर का पूरा ख्याल रख रही है जिससे स्थिरता, पारदर्शिता और ग्रोथ बनी रहे. पिछले एक दशक में नागरिकों और स्टॉफ केंद्रित सुधार वाले कई कदम सरकार ने उठाये हैं.
वित्त मंत्रालय के मुताबिक आरबीआई ने एसेट क्वालिटी रिव्यू 2015 में शुरू किया जिससे बैंकिंग सिस्टम में जो स्ट्रेस था बैंकों ने पारदर्शिता के साथ इसकी पहचान की. ऐसे स्ट्रेस वालों खातों को एनपीए घोषित किया गया जिसके चलते 2018 में बैंकों का एनपीए काफी बढ़ गया. लेकिन आरबीआई के इस कदम के बाद बैंकों के एसेट क्वालिटी में सुधार आया है और ग्रॉस एनपीए सितंबर 2024 में 3.12 फीसदी पर आ गया है जो मार्च 2018 में 14.58 फीसदी के लेवल पर जा पहुंचा था.
बैंकों का मुनाफा रिकॉर्ड हाई पर
वित्त वर्ष 2023-24 में सरकारी बैंकों का मुनाफा रिकॉर्ड हाई 1.41 लाख करोड़ रुपये पर जा पहुंचा है जो वित्त वर्ष 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा था. वित्त वर्ष 2024-25 के पहले छमाही में सरकारी बैंकों का मुनाफा 0.86 लाख करोड़ रुपये रहा है. पिछले तीन सालों में बैंकों ने 61,964 करोड़ रुपये डिविडेंड का भुगतान किया है.
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