GST: राहुल गांधी के एक टैक्स रेट के वादे के बाद, क्या जीएसटी बनेगा बड़ा चुनावी मुद्दा?
Goods And Services Tax: राहुल गांधी जीएसटी को लेकर लगातार केंद्र सरकार को घेरते रहे हैं और जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स भी बताते रहे हैं.
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Rahul Gandhi On GST: कर्नाटक में 10 मई, 2023 को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में खुद को झोंक चुके हैं. लेकिस इस चुनाव में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानि जीएसटी भी बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. और जो संकेत मिल रहा हैं उससे साफ है कि 2024 में लोकसभा चुनाव में जीएसटी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनने वाला है.
राहुल का चुनावी वादा, जीएसटी में होगा एक रेट
कर्नाटक में चुनाव प्रचार में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एलान किया कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो उनकी सरकार जीएसटी के टैक्स रेट स्ट्रक्चर में बड़े बदलाव करेगी. राहुल ने कहा कि पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है. हिंदुस्तान के इतिहास में किसानों पर जीएसटी लगा दिया गया. उन्होंने कहा कि जीएसटी केवल अमीरों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है. राहुल ने कहा कि, जीएसटी के चलते छोटे बिजनेस बंद हो चुके हैं, जीएसटी इतना जटिल है कि लोग आज तक इसे समझ नहीं सके हैं. अगर दिल्ली में हमारी सरकार आई तो मौजूदा जीएसटी को बदल देंगे. केवल एक टैक्स होगा और उसकी रेट भी कम होगी. आपको बता दें राहुल पूर्व में जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स के नाम से संबोधित करते रहे हैं.
क्या वन नेशन वन टैक्स का मकसद हुआ पूरा?
वन नेशन वन टैक्स के मकसद के साथ एक जुलाई 2017 को आधी रात में संसद के दोनों सदनों के ज्वाइंट बैठक के साथ देश में जीएसटी को लागू करने का एलान किया गया. लेकिन मौजूदा जीएसटी में एक नहीं बल्कि टैक्स रेट के चार स्लैब हैं और साथ में लग्जरी और सिन गुड्स पर सेस भी लगाया जाता है. जीएसटी के चार स्लैब रेट्स हैं जिसमें 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी शामिल है. और लग्जरी प्रोडक्ट्स और सिन गुड्स पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ सेस भी लगाया जाता है जिसमें लग्जरी कारें और तंबाकू सिगरेट शामिल है.
जीएसटी ने बढ़ाई महंगाई!
बीते वर्ष 18 जुलाई 2022 से पैक्ड फूड पर डिब्बा या पैक्ड और लेबल वाला आटा, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला लागू हो गया जिसके चलते ये चीजें महंगी हो गई है. जीएसटी काउंसिल के इस फैसले के बाद से ही मोदी सरकार की आलोचना हो रही है तो इसे महंगाई के बढ़ने के प्रमुख कारणों में गिना जाता है. सरकार पर आरोप लगे कि वो अब रोटी - दाल पर भी सरकार टैक्स वसूल रही है. जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को सफाई देना पड़ा था. जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में होने वाली परेशानी की शिकायतें सामने आती रही है.
जीएसटी रेट की समीक्षा पर अब तक फैसला नहीं
वहीं लंबे समय से जीएसटी रेट्स में बदलाव किए जाने की बात हो रही है लेकिन अब तक ये हो नहीं सका है. जीएसटी रेट्स के युक्तिकरण और समीक्षा के लिए बनाये गए मंत्रियों का समूह (GOM) 12 फीसदी जीएसटी स्लैब रेट को खत्म करने के पक्ष में है. मंत्रियों के समूह के सदस्यों का मानना है कि जिन वस्तुओं पर 12 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है, कुल जीएसटी कलेक्शन में उसकी हिस्सेदारी केवल 8 फीसदी है. ऐसे में 12 फीसदी जीएसटी को खत्म किया जा सकता है.
विवेक देबरॉय भी एक रेट के पक्ष में
प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार काउंसिल (PM Economic Advisory Council) के चेयरमैन विवेक देबरॉय ( Bibek Debroy) भी जीएसटी के एक रेट के पक्ष में हैं. बीते वर्ष उन्होंने कहा था कि जीएसटी पर यह मेरी राय है कि कर की सिर्फ एक रेट होनी चाहिए. हालांकि, उन्होंने ये भी साफ किया कि, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कभी होगा. उन्होंने कहा कि, उत्पाद कोई भी हो, जीएसटी दर एक होनी चाहिए. हालांकि उन्होंने अपने विचार को निजी राय बताया था.
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