Barmer Refinery: 5 वर्षों में 68 फीसदी बढ़ गया राजस्थान के बाड़मेर रिफाइनरी का प्रोजेक्ट कॉस्ट!
Barmer Refinery Project: 2018 में बाड़मेर रिफाइरी की लागत 43129 करोड़ रुपये आंका गया था जो अब बढ़कर 72,000 करोड़ रुपये हो चुका है.
Rajasthan Barmer Refinery: राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर (Barmer) जिले के पचपदरा में सरकारी क्षेत्र की तेल कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) के रिफाइनरी प्लांट तैयार करने पर काम तेजी से जारी है. केंद्र सरकार ने जनवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) के हाथों रिफाइनरी प्रोजेक्ट के उद्घाटन का लक्ष्य रखा है. लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम ( OPS) के बाद इस प्रोजेक्ट को लेकर अब केंद्र और राजस्थान की कांग्रेस सरकार के बीच जबरदस्त खींचतान शुरू हो चुकी है. रिफाइनरी को लेकर जो प्रोजेक्ट लागत आंका गया गया था उसमें करीब 70 फीसदी का उछाल आ चुका है.
क्या है बाड़मेर रिफाइनरी का इतिहास
राजस्थान के बाड़मेर में जब कच्चे तेल का उत्पादन शुरू हुआ तभी ये फैसला लिया गया था कि यहां एक रिफाइनरी प्लांट लगाया जाएगा. इस रिफाइनरी का मालिकाना हक एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी लिमिटेड ( HPCL Rajasthan Refinery Limited) के पास है जो हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और राजस्थान सरकार का ज्वाइंट वेंचर है. प्रोजेक्ट में 74 फीसदी एचपीसीएल की है जो 26 फीसदी हिस्सेदारी राजस्थान सरकारी की है. पहली बार इस रिफाइनरी की आधारशिला 22 सितंबर 2013 को तात्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi) ने रखी थी. हालांकि इसके बाद राज्य और केंद्र में कांग्रेस सरकार के सत्ता से जाने के बाद प्रोजेक्ट अधर में लटक गया. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 16 जनवरी 2018 के उद्घाटन के बाद प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ. जब 9 मिलियन टन रिफाइनिंग कैपेसिटी और 2 मिलियन टन प्रति वर्ष कैपेसिटी वाले पेट्रोकेमिकल्स कॉम्प्लेक्स पर काम शुरू हुआ तब 43,000 करोड़ रुपये प्रोजेक्ट की लागत आंकी गई थी.
68 फीसदी बढ़ा प्रोजेक्ट कॉस्ट
लेकिन हैरानी की बात ये है कि जिस रिफाइनरी प्रोजेक्ट की लागत 43,129 करोड़ रुपये 2018 में आंकी गई थी वो पांच सालों में 29,129 करोड़ रुपया या 68 फीसदी बढ़कर 72,000 करोड़ रुपये हो चुकी है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ( Hardeep Puri) का कहना है लागत बढ़ने के चलते प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ गया है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौराम प्रोजेक्ट पर काम रूक गया तो 2017 से लेकर 2022 के बीच स्टील की कीमतों में 45 फीसदी का उछाल आ चुका है जिसके चलते लागत में बढ़ोतरी आई है. केंद्र सरकार राज्य सरकार पर लागत में बढ़ोतरी का ठीकरा फोड़ रही है तो राज्य सरकार केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है.
केंद्र और राज्य में तनातनी
बाड़मेर रिफाइरी के लागत में बढ़ोतरी हो गई है तो केंद्र सरकार इसकी भरपाई करने के लिए राजस्थान सरकार से 2500 करोड़ रुपये की मांग कर रही है. पेट्रोलियम मंत्री का कहना है कि उनके पास दो विकल्प है. या तो राज्य सरकार 2500 रुपये का भुगतान कर प्रोजेक्ट में अपना 26 फीसदी हिस्सा बरकरार रखे. या फिर एचपीसीएल 2500 करोड़ रुपये का भुगतान कर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 84 फीसदी करेगी. प्रोजेक्ट के लिए 66 फीसदी रकम एसबीआई के नेतृत्व वाले कंजर्शियल से जुटाने का लक्ष्य तय किया था. फिलहाल रिफाइनरी का 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. सरकार का कहना है कि रिफाइरी का काम पूरा होने पर भारत के इंपोर्ट बिल में 26,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी. वहीं इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर राजस्थानको जबरदस्त फायदा होगा. वहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.
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