Raksha Bandhan 2024: इस रक्षाबंधन पर होगा 12000 करोड़ रुपये का कारोबार, मार्केट से गायब हुईं चीन की राखियां
CAIT Report: कैट के अनुसार, रक्षा बंधन से लेकर तुलसी विवाह के दिन तक फेस्टिव सीजन के दौरान लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हो सकता है.
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CAIT Report: भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षा बंधन का त्यौहार सोमवार, 19 अगस्त को मनाया जाने वाला है. पूरे देश में धूमधाम से इसकी तैयारियां चल रही हैं. इस साल अच्छी बात यह है कि मार्केट से चीन में बनी राखियां गायब हैं. कारोबारियों ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देते हुए सिर्फ देश में बनी राखियों को ही प्राथमिकता दी है. लोगों के उत्साह को देखते हुए उम्मीद जताई जा रही है कि रक्षा बंधन पर इस साल मार्केट में लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है.
पिछले साल 10 हजार करोड़ रुपये का हुआ था कारोबार
व्यापारियों के शीर्ष संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा है कि इस वर्ष राखी के त्यौहार पर देश भर के बाजारों में जबरदस्त भीड़ है. लोगों में उत्साह देखा जा रहा है. पिछले कई वर्षों से देश में स्वदेशी राखियों ही बिक रही हैं. इस वर्ष भी चीन की बनी राखियों की डिमांड नहीं है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने बताया की राखियों की डिमांड को देखते हुए इस साल 12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है. पिछले साल यह आंकड़ा लगभग 10 हजार करोड़ रुपये था. कैट के अनुसार, रक्षा बंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक त्योहारी सीजन में बाजारों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार होने का अनुमान है.
19 अगस्त को दोपहर 1.30 बजे के बाद है शुभ मुहूर्त
कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष तथा उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि 19 अगस्त को दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा काल है. इसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है इसलिए देश भर में रक्षाबंधन का त्यौहार दोपहर 1.31 बजे से ही मनाया जाए. कैट ने इस तरह की एडवाइजरी देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है. साथ ही कहा है कि सभी व्यापारी शुभ समय में ही रक्षा बंधन का पर्व मनाएं.
डिमांड में हैं मशहूर उत्पादों पर बनी विशेष राखियां
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया की इस साल देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां भी बनाई गई हैं. इनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर की सांगानेरी कला राखी, पुणे की बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम की चाय पत्ती राखी, कोलकाता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, केरल की खजूर राखी, कानपुर की मोती राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी की सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर की फूल राखी आदि शामिल हैं. इसके अलावा तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम राखी, भारत माता राखी आदि की भी खूब डिमांड है.
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