कोरोना संक्रमण के इस दौर में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की स्थिति मजबूत हुई है. इसका असर दिख रहा है. पीएसयू बैंकों के शेयरों में लगातार मजबूती आई है. पिछले कुछ समय में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक इंडियन, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के शेयर में 50 फीसदी से ज्यादा रैली आ चुकी है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या निवेशकों को इस रैली में फायदा उठाते हुए इनके शेयरों में निवेश बढ़ाना चाहिए.


सरकार के निजीकरण के ऐलान से बैंकिंग सेक्टर में कॉन्फिडेंस


पिछले साल पीएसयू बैंक इंडेक्स में 30 फीसदी की गिरावट दिखी थी लेकिन बजट में सरकार के विनिवेश के फैसले के ऐलान और दो सरकारी बैंक के प्राइवेटाइजेशन और कुछ बैंकों के री-कैपिटलाइजेशन का इरादा जताए जाने से पीएसयू बैंकों के शेयरों में जोरदार उछाल दिखी. बजट के बाद ज्यादातर पीएसयू बैंकों में निवेशकों ने खरीदारी की है. बजट के बाद यूको बैंक के शेयरों में 12 फीसदी और केनरा बैंक के शेयरों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. बैंक ऑफ महाराष्ट्र, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक इंडियन, इंडियन ओवरसीज बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के शेयर में 50 फीसदी से ज्यादा रैली आ चुकी है.


पीएसयू बैंक शेयरों में निवेश की क्या हो रणनीति


विश्लेषकों का कहना है कि सरकार के प्राइवेटाइजेशन के ऐलान ने बैंकिंग सेक्टर को नया कॉन्फिडेंस दिया है. इस वजह से बैंकिंग सेक्टर खास कर पीएसयू बैंकों के शेयरों में निवेशकों का विश्वास बढ़ा है. निवेशकों को लग रहा है कि सरकार के इस कदम से बैकों का कामकाज सुधरेगा और उनके एनपीए में गिरावट आएगी. हालांकि विश्लेषकों ने निवेशकों को फिलहाल पीएसयू बैंक शेयरों में निवेश में सतर्कता बरतने की सलाह दी है. निवेश सलाहकारों का कहना है कि इस समय पीएसयू बैंकों को लेकर निवेशकों को थोड़ा सावधान रहना चाहिए. यहां से ये शेयर तेजी से नीचे की ओर जा सकते हैं. निवेशकों को घाटा हो सकता है.


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