22 January: सोमवार 22 जनवरी, 2024 की तारीख इतिहास में दर्ज होने जा रही है. अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है. देश की सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी एलएंडटी (L&T) ने दावा किया है कि 1000 साल तक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर (Shri Ram Janmbhoomi Mandir) का कुछ नहीं बिगड़ेगा. एलएंडटी ने इसकी डिजाइन और मटेरियल को कुछ ऐसे चुना है कि वक्त के थपेड़े इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगे. कंपनी का दावा है कि यह एक मास्टरपीस साबित होगा. इसे बनाने में देश की संस्कृति, कला और लोगों की भावनाओं का पूरा ख्याल रखा गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट (Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra Trust) ने भी इसकी पुष्टि की है. 


तीन मंजिला मंदिर में पांच मंडप और मुख्य शिखर 


श्रीराम जन्मभूमि मंदिर अयोध्या में लगभग 70 एकड़ इलाके में फैला हुआ है. इसका आर्किटेक्चर नागर स्टाइल का है. इसकी शानदार डिजाइन की हर जगह तारीफ हो रही है. मंदिर 161.75 फीट ऊंचा, 380 फीट लंबा और 249.5 फीट चौड़ा है. इस तीन मंजिला मंदिर में पांच मंडप हैं. इन्हें नृत्य मंडप, रंग मंडप, गूढ़ मंडप, कीर्तन मंडप और प्रार्थना मंडप के नाम से जाना जाएगा. साथ ही एक मुख्य शिखर भी है. 


एलएंडटी ने मंदिर को इंजीनियरिंग मार्वल बताया 


एलएंडटी के चेयरमैन एवं एमडी एसएन सुब्रमण्यन (SN Subrahmanyan) ने बताया कि हमें इस प्रोजेक्ट को देश को सपर्पित करते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को डिजाइन करने एवं बनाने का मौका हमें देने के लिए हम भारत सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, नृपेंद्र मिश्रा (Nripendra Mishra) और विश्व हिन्दू परिषद के चंपत राय (Champat Rai) को धन्यवाद देते हैं. इन सभी लोगों के अनवरत समर्थन से हम यह इंजीनियरिंग मार्वल बना पाए. यह हजारों साल तक दर्शनार्थियों को अपनी ओर खींचता रहेगा. 


श्रीराम मंदिर की विशेषताएं 


इसे बनाने के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले से पिंक बंसी पहाड़पुर पत्थर मंगाए गए हैं. मंदिर तगड़े से तगड़ा भूकंप आसानी से झेलने में सक्षम रहेगा. मंदिर के हर ताल पर में 390 पिलर और 6 मकराना मार्बल के पिलर हैं. इनमें 10 हजार से ज्यादा मूर्तियां और थीम उकेरी गई हैं. मंदिर का निर्माण मई, 2020 से शुरू किया गया था. इसकी फाउंडेशन के लिए आईआईटी जैसे संस्थानों की मदद भी ली गई थी. एलएंडटी के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एमवी सतीश (MV Satish) ने कहा कि इस मंदिर के एक-एक पत्थर को बहुत ध्यान से और बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए लगाया गया है. 


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