Ratan Tata: अपने कर्मचारियों के माता-पिता को पत्र भेजते थे रतन टाटा, सामने आ रहीं भावुक कहानियां
Tata Group: लोगों का कहना है कि रतन टाटा सभी कर्मचारियों का सम्मान करते थे. यही वजह है कि टाटा ग्रुप की कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए अच्छा वर्क कल्चर बनाकर रखती हैं.
Tata Group: दिग्गज कारोबारी एवं समाजसेवी रतन टाटा (Ratan Tata) अब हमारे बीच नहीं हैं. रतन टाटा न सिर्फ टाटा ग्रुप (Tata Group) को नई ऊंचाइयों पर ले गए बल्कि उन्होंने अपने कर्मचारियों और समाज के लिए भी बहुत कुछ किया, जो कि अन्य कंपनियों एवं उनके नेतृत्व के लिए एक उदाहरण है. अब उनके जाने के बाद लोग गमगीन हैं और अपनी-अपनी कहानियां शेयर कर रहे हैं.
एक ऐसी ही कहानी टाटा ग्रुप के ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म टाटा क्लिक (Tata Cliq) के एक पूर्व कर्मचारी ने बताई है. उन्होंने कहा है कि रतन टाटा सभी कर्मचारियों का सम्मान करते थे. वह अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों और पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखते थे. यही वजह थी कि टाटा ग्रुप की कंपनियां भी कर्मचारियों के प्रति वैसा ही व्यवहार रखती थीं. रतन टाटा के जाने के बाद भी उनके विचार टाटा ग्रुप को दिशा दिखाते रहेंगे. अधिकतर लोग भले ही रतन टाटा से व्यक्तिगत रूप से न मिल पाते हों लेकिन, वह उनके लिए बहुत सम्मान रखते थे.
कंपनी से आए पत्र में माता-पिता द्वारा किए गए त्याग का धन्यवाद दिया
टाटा क्लिक की पूर्व असिस्टेंट कैटेगरी मैनेजर भारती चिकारा ने बिजनेस इनसाइडर को बताया कि जब मैंने कंपनी को ज्वॉइन किया तो मेरे माता-पिता को कंपनी के चीफ पीपुल ऑफिसर की तरफ से एक पत्र आया. इसमें उन्होंने मेरे कैरियर को बनाने के लिए माता-पिता द्वारा किए गए त्याग का धन्यवाद दिया था. यह पत्र मेरे पूरे परिवार को भावुक कर देने वाला था. ऐसी संस्कृति किसी और कारोबारी समूह में कहां देखने को मिलती है. उनके अलावा टाटा क्लिक में कॉपीराइटर का काम कर चुकीं श्रेयषी घोष ने बताया कि रतन टाटा सिद्धांतों पर चलते थे. वह नए विचारों को बढ़ावा देते थे. उन्होंने टाटा ग्रुप पर अपनी अमित छाप छोड़ी है. वह हम सभी को प्रेरित करते रहेंगे.
टाटा ग्रुप का वर्क कल्चर शानदार, कर्मचारियों का रखा जाता है ध्यान
कंपनी के एक पूर्व कर्मचारी रचित टंडन ने बताया कि टाटा क्लिक का वर्क कल्चर शानदार था. मुझे आज भी खुशी होती है कि मैं एक ऐसी कंपनी का हिस्सा रहा, जहां कर्मचारियों और समाज का पूरा ख्याल रखा जाता है. उन्होंने रतन टाटा से जो कुछ सीखा, उसे वह अपने कैरियर में लागू करने की पूरी कोशिश करेंगे. आने वाली कई पीढ़ियां रतन टाटा के सिद्धांतों को याद करेंगी. रतन टाटा ने 86 वर्ष की उम्र में 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली. अब उनकी जगह नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा ट्रस्ट्स (Tata Trusts) का नया चेयरमैन चुना गया है.
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