Ratan Tata: रतन टाटा के साथ ऐसा क्या हुआ था, जो उन्होंने 165 करोड़ रुपये खर्च करके जानवरों को लिए बनवा दिया अस्पताल
Tata Group: लोकप्रिय कारोबारी रतन टाटा का एक और सपना पूरा हो गया है. उन्होंने अपने जीवन की एक घटना से सीख लेते हुए देश को एक और ऐसा संस्थान दिया है, जो जानवरों की सेवा करेगा.
Tata Group: देश के लोकप्रिय उधोगपति रतन टाटा (Ratan Tata) ने अपना एक और प्रिय प्रोजेक्ट पूरा कर लिया है. टाटा समूह (Tata Group) लगातार समाज कल्याण के लिए विभिन्न योजनाएं चलता रहता है. उनके टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने करोड़ों लोगों को बेहद कम खर्च में कैंसर से लड़ने में मदद की है. इसी तर्ज पर अब रतन टाटा ने लगभग 165 करोड़ रुपये खर्च कर 2.2 एकड़ में जानवरों के लिए 24 घंटे चलने वाला अस्पताल (Animal Hospital) खोलने जा रहे हैं. मुंबई में बनकर तैयार यह हॉस्पिटल बेजुबानों की मदद के लिए मार्च के पहले हफ्ते से काम करना शुरू कर देगा.
कुत्ते, बिल्ली, खरगोश जैसे छोटे जानवरों की सेवा करेगा
86 साल के हो चुके रतन टाटा कई तरह के दान देने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि टाटा ट्रस्ट्स स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल (Tata Trusts Small Animal Hospital) महालक्ष्मी इलाके में खुलेगा. यह कुत्ते, बिल्ली, खरगोश जैसे छोटे जानवरों की सेवा के लिए बनाया गया है. उन्होंने कहा कि जानवर भी परिवार का हिस्सा हो जाते हैं. मेरे पास भी कई पालतू जानवर रहे हैं. इसलिए मुझे इस हॉस्पिटल की बहुत जरूरत महसूस हुई थी. अब अपना सपना पूरा होते देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है.
अमेरिका में कराना पड़ा था अपने कुत्ते का इलाज
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए बताया कि उनका कुत्ता बीमार हो गया था. वह उसे ज्वॉइंट रिप्लेसमेंट के लिए अमेरिका की मिनिसोटा यूनिवर्सिटी ले गए. हालांकि, हमें बहुत देर हो चुकी थी और डॉक्टरों ने रतन टाटा के प्रिय पालतू जानवर के ज्वॉइंट को एक निश्चित स्थिति में फिट कर दिया. इसके बाद उनके दिमाग में वह विचार आया कि मुंबई में भी एक वर्ल्ड क्लास जानवरों का हॉस्पिटल होना चाहिए. हालांकि, वह इस हॉस्पिटल पर काम रिटायरमेंट के बाद ही शुरू कर पाए.
मशहूर हैं टाटा ग्रुप के बनाए गए संस्थान
यह अस्पताल टाटा ग्रुप के बेहतरीन संस्थानों में शुमार किया जाएगा. इससे पहले इस कारोबारी घराने ने देश का पहला कैंसर केयर हॉस्पिटल, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंसेज- बेंगलुरु जैसे नामी गिरामी संस्थानों की शुरुआत भी की है. यह अस्पताल शुरू में नवी मुंबई के कलंबोली इलाके में बनने वाला था. फिर उन्होंने यात्रा में लगने वाले समय को देखते हुए इसे मुंबई में ही बनाने का फैसला लिया गया. सही जगह की तलाश, सरकार की मंजूरी और कोविड ने इस अस्पताल को कुछ साल पीछे धकेल दिया.
5 नामी ब्रिटिश अस्पतालों से हुआ टाई अप
इस अस्पताल की जिम्मेदारी ब्रिटेन के मशहूर वेट डॉक्टर थॉमस हीथकोट को सौंपी गई है. इस अस्पताल का रॉयल वेटनरी कॉलेज, लंदन समेत 5 मशहूर ब्रिटिश अस्पतालों से टाई अप भी है. इसमें आवारा कुत्तों की देखभाल के लिए भी एक एनजीओ खोला गया है.
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