घरेलू क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने भारत की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ा दिया है. इंडिया रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार अब 6.7 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. इससे पहले एजेंसी ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.2 फीसदी रह सकती है.
पक्ष और विपक्ष के फैक्टर
इंडिया रेटिंग्स के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को कई फैक्टर्स से मदद मिल रही है. एजेंसी ने मजबूत अर्थव्यवस्था, सरकार का लगाातर पूंजीगत खर्च और निजी कंपनियों के पूंजीगत खर्च के नए साइकल की संभावना को अनुमान में इस बदलाव के लिए वजह बताया है. हालांकि एजेंसी ने साथ ही कुछ आशंकाएं भी व्यक्त की हैं. एजेंसी के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था को ग्लोबल ग्रोथ, व्यापार के जोखिम और भू-राजनीतिक परिस्थितियों में उथल-पुथल से कुछ दिक्कतें आ सकती हैं.
अनुमान से बेहतर रही ग्रोथ
चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही की शुरुआत हो चुकी है. अप्रैल 2024 से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा. अभी दिसंबर 2023 में समाप्त हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं हुए हैं. उससे पहले दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के तीन महीने के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार ने तमाम अनुमानों को मात दे दी थी. दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.6 फीसदी रही थी.
ये है आरबीआई का अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मानना है कि तीसरी तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 6 फीसदी रह सकती है, जो कुछ कम होकर चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी पर आ सकती है. पूरे वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक का अनुमान 6.5 फीसदी की दर से ग्रोथ का है. भारत सरकार को भी चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद है. इस हिसाब से देखें तो इंड-रा का अनुमान आरबीआई के अनुमान से ज्यादा है. इससे पहले ईवाई इंडिया ने भी चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान दिया था.
वैश्विक चुनौतियों का ऐसा असर
इंडिया रेटिंग्स के प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा का कहना है कि बाहरी चुनौतियों के चलते भारत की ग्रोथ रेट भी थोड़ी कम हो रही है. पहली तिमाही में भारत की ग्रोथ रेट 7.8 फीसदी रही थी. उसके बाद दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने 7.6 फीसदी की दर से ग्रो किया. तीसरी और चौथी तिमाही में इसके और कम होने के अनुमान हैं.
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