Repo Rate Hike Impact on Housing Sector: भारत में Housing sector लंबे समय से मंदी की मार झेल रहा है. आर्थिक सुस्ती की वजह से इस पर असर आया. थोड़ी स्थिति सुधरी तो नोटबंदी ने कमर तोड़ दी. रेरा की मार पड़ी. वस्तु एवं सेवा कर (जीएटसी) का असर इस सेक्टर के विभिन्न इनपुट्स पर पड़ा. और आखिरकार कोरोना ने पूरी अर्थव्यवस्था का भट्ठा बिठा दिया. अब बढ़ते रेपो रेट के दौर में हाउसिंग लोन महंगा ही होता जा रहा है. आज रेपो रेट में 35 आधार अंक (बीपीएस) की बढ़ोतरी ने हाउसिंग सेक्टर की चिंता बढ़ाई है.
क्या है विशेषज्ञों की राय
रेपो रेट कोरोना के दौर में निचले स्तर पर थी. हाउसिंग पर ब्याज दर भी उसी के मुताबिक 6.6 से 7 प्रतिशत सालाना पर पहुंच गई थी. तमाम लोगों ने इस आकर्षण में आकर कर्ज लिया और घर खरीद डाला. उसके बाद अब उनकी ईएमआई लगातार बढ़ रही है. शुरुआत में जब रेपो रेट बढ़ा तो रियल एस्टेट सेक्टर की सेहत पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि ब्याज दरें ऐतिहासिक रूप से कम थीं और बिल्डरों को उम्मीद थी कि थोड़ा बहुत ब्याज बढ़ भी जाए तो लोग घर खरीदने के अपने फैसले को नहीं बदलेंगे. लेकिन इस बढ़ोतरी के बाद अब रियल एस्टेट सेक्टर और विशेषज्ञों को चिंता सताने लगी है.
ANAROCK Group के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि इस बार रेट में 35 बीपीएस की बढ़ोतरी इस साल लगातार पांचवीं बार हुई बढ़ोतरी है. इससे कोई आश्चर्य नहीं हुआ है. अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत हो गया है तो इससे मकानों की खरीद पर कुछ असर पड़ सकता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि होम लोन पर ब्याज दरों में और बढ़ोतरी होगी, जो लगातार 4 बढ़ोतरी के बाद पहले ही बढ़ा हुआ है.
हालांकि पुरी का कहना है कि ब्याज दर लंबे समय से एक अंक में (9.5 प्रतिशत से नीचे) बनी हुई है, ऐसे में हाउसिंग पर असर मामूली होगा. अगर दर इससे ऊपर जाती है तो आवासीय संपत्तियों की बिक्री की मात्रा पर कुछ असर पड़ सकता है. खासकर अफर्डेबल हाउसिंग यानी लोवर मिड रेंज हाउसिंग सेग्मेंट पर इसका असर पड़ेगा.
इंवेस्टोएक्सपर्ट के MD विशाल रहेजा का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा दर में 35 आधार अंक की बढ़ोतरी उम्मीद के अनुरूप है, जिससे कि महंगाई पर काबू पाया जा सके. रियल एस्टेट सेक्टर में प्रमुख प्रॉपर्टी बाजारों में धीरे-धीरे रिकवरी हो रही है और कम ब्याज दर इसकी बड़ी वजह थी, जिसकी वजह से पिछले कुछ साल में रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग बढ़ी. लगातार दर में बढ़ोतरी की वजह से कम अवधि के हिसाब से बाजार में उथल पुथल हो सकती है. बहरहाल इसके पहले की वृद्धि का रियल एस्टेट पर कोई उल्लेखनीय असर नहीं पड़ा था और पूरे साल हर सेग्मेंट में मांग में मजबूती बनी रही. इससे इस क्षेत्र के फंडामेंटल्स मजबूत होने के संकेत मिलते हैं.
एंड यूजर से संचालित रियल एस्सेट
आवास के सबसे ज्यादा खरीदार एंड यूजर्स होते हैं. भारत में अपना घर लेकर लोगों का एक सपना होता है. और इस तरह के सपने देखने वालों की घर खरीदने की क्षमता सीमित है. निवेशकों के विपरीत एंड यूजर्स ब्याज पर कम ध्यान देते हैं और अपने घर के सपने पर ज्यादा ध्यान देते हैं. लेकिन ब्याज दरें उन पर असर डालती हैं. हालांकि जब तक इन्वेस्टर्स की जगह एंड यूजर्स से हाउसिंग सेक्टर संचालित रहेगा, ब्याज दर में बढ़ोतरी का असर इस सेक्टर पर मामूली ही रहेगा. एंड यूजर्स को घर का मालिकाना चाहिए होता है, वह उससे कमाई और उस पर आने वाले लागत पर ध्यान नहीं देते.
पुरी का कहना है, ‘जब तक हाउसिंग सेक्टर में एंड यूजर्स की संख्या ज्यादा रहेगी, ब्याज दरों का असर हाउसिंग की सेल्स पर बहुत उल्लेखनीय नहीं रहेगी.’
अब तक नहीं रहा है ब्याज दर बढ़ने का असर
इस साल रेट में लगातार 4 बार बढ़ोतरी का हाउसिंग की बिक्री पर असर मामूली रहा है. 2022 की तीसरी तिमाही के हाउसिंग सेक्टर की बिक्री के आंकड़े इसके साफ संकेत देते हैं. एनारॉक रिसर्च के मुताबिक लगातार 3 बार रेट में बढ़ोतरी के बाद 2022 की तीसरी तिमाही में देश के टॉप 5 शहरों में 88,230 यूनिट मकानों की बिक्री हुई है. ग्राहकों की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है. मकानों की बिक्री में पहले की तिमाही की तुलना में 4 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 41 प्रतिशत वृद्धि हुई है.
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