Problem of Counterfeit Notes: देश में एक बार फिर जाली नोटों (Counterfeit Notes) का संकट बढ़ता जा रहा है. आरबीआई के जो सलाना रिपोर्ट जारी किया है उसमें ये बातें सामने आई है. आरबीआई (RBI) के सलाना रिपोर्ट के के मुताबिक देश में 2021-22 में जाली नोटों की संख्या में बीते साल 2020-21 के मुकाबले 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. 2021-22 में 500 रुपये के 101.9 फीसदी ज्यादा जाली नोट मिले हैं. वहीं 2,000 के रुपये जाली नोटों (Counterfeit Notes) की संख्या में 54.16 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. 


जाली नोटों ने बढ़ाया संकट
आरबीआई (RBI) के रिपोर्ट के मुताबिक 10 रुपये के जाली नोटों की संख्या में 16.4 फीसदी और 20 रुपये के जाली नोटों में 16.5 फीसदी का इजाफा हुआ है. वहीं 200 रुपये के जाली नोटों की संख्या 11.7 फीसदी बढ़ी है. वहीं 50 रुपये के जाली नोट मिलने में 28.7 फीसदी तो 100 रुपये का जाली नोट इस अवधि में दौरान 16.7 फीसदी ज्यादा मिला है. आरबीआई के रिपोर्ट के मुताबिक 93.1 जाली बैंकों में मिले हैं तो 6.9 फीसदी जाली नोटों की पहचान आरबीआई में की गई है


 नोटबंदी के बाद भी जाली नोटों का मिलना है जारी
दरअसल 8 नवंबर 2016 को जब पीएम नरेंद्र नोदी ( PM Narendra Modi) ने नोटबंदी ( Demonetisation) का ऐलान किया था तो इसका बड़ा मकसद ये था कि देश से जाली नोटों (Counterfeit Notes) का सफाया हो जाएगा. लेकिन नोटबंदी के छह सालों बाद भी देश के बैंकिंग सिस्टम में जाली नोटों का मिलना बदस्तूर जारी है. जिसने आरबीआई के साथ साथ सरकारी की भई चिंता बढ़ा दी है. 


जाली नोटों का असर
जाली नोटों से देश का आर्थिक ढांचा कमजोर पड़ता है. इससे महंगाई भी बढ़ोतरी आती है क्योंकि बैंकिंग सिस्टम में कैश फ्लो बढ़ता है. जाली नोटों से देश में गैरकानूनी ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी आती है क्योंकि ऐसे ट्रांजैक्शन वैध करेंसी का इस्तेमाल नहीं होता है.  


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