Reserve Bank of India: वित्त वर्ष 2022-23 (Financial Year 2022-23) के बजट प्रस्तावों और मौद्रिक नीति घोषणाओं ने टिकाऊ और व्यापक आर्थिक पुनरुद्धार का रास्ता निर्धारित किया है. देश के कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर से उबरने के साथ आर्थिक पुनरुद्धार फिर रफ्तार पकड़ रहा है. भारतीय रिजर्व के एक लेख में इस बारे में जानकारी दी गई है.
RBI ने दी जानकारी
‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ विषय पर आरबीआई के लेख में इस बात पर जोर दिया गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद घरेलू आर्थिक स्थिति निरंतर बेहतर होगी. आरबीआई के फरवरी बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा गया है, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 का बजट और 10 फरवरी को घोषित मौद्रिक नीति ने टिकाऊ और व्यापक आर्थिक पुनरुद्धार का रास्ता निर्धारित किया है.’’
सार्वजनिक निवेश पर दिया जोर
इसके अनुसार, बजट में बुनियादी ढांचा विकास के माध्यम से सार्वजनिक निवेश पर जोर दिया गया है. इससे निजी निवेश और रोजगार सृजन में तेजी आएगी.’’ लेख में कहा गया है, ‘‘बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिये बुनियादी तौर पर गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान है, जिसका उद्देश्य ‘मल्टी-मॉडल’ संपर्क और लॉजिस्टिक दक्षता के जरिये समावेशी वृद्धि हासिल करना है.’’
आर्थिक गतिविधियों में आ रही तेजी
आपको बता दें घरेलू वृहत आर्थिक परिस्थितियां एक ऐसे रास्ते पर चल रही हैं जो वैश्विक गतिविधियों से अलग है. ‘‘भारत के तीसरी लहर से बाहर निकलने के साथ आर्थिक गतिविधियों में पुनरुद्धार जोर पकड़ रहा है.’’ लेख में कहा गया है, ‘‘मांग को लेकर उम्मीद तथा ग्राहकों और व्यापार के स्तर पर भरोसा बढ़ने के साथ विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में विस्तार जारी है. कंपनियां नई व्यवस्था में लौट रही हैं, इससे नौकरियों को लेकर स्थिति बेहतर हुई है.’’
मुद्रस्फीति है एक चुनौती
इसके अलावा ग्लोबल इकोनॉमी एक ऐसे मोड़ पर है, जहां जिंसों के दाम में तेजी और आपूर्ति संबंधी बाधाओं के कारण मुद्रास्फीति की चुनौती बनी हुई है. वैश्विक वृहत आर्थिक स्थिति अभी अनिश्चित बना हुआ है और इसके नीचे जाने का जोखिम है. वहीं, मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति संतोषजनक दायरे में रहने का अनुमान जताते हुए नीतिगत दर को बरकरार रखने का फैसला किया है. अधिक खर्च और कारोबार सुगमता से घरेलू स्तर पर परिदृश्य मजबूत है. भारत एक बार फिर बड़े देशों में तीव्र वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था के रूप में उभरा है.