देश में महंगाई के मोर्चे पर एक बार फिर से स्थिति चुनौतीपूर्ण होती जा रही है. रिजर्व बैंक और सरकार के करीब एक साल के प्रयासों से अभी महंगाई नियंत्रित होने ही लगी थी कि फिर से इसमें तेजी का दौर लौट आया है. पिछले कुछ महीने से खुदरा महंगाई दर में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है. इस बीच आरबीआई ने ताजे बुलेटिन में खुदरा महंगाई को लेकर चिंता बढ़ाने वाले अनुमान जाहिर किए हैं.


महंगाई बढ़ने से हो सकता है ये असर


गुरुवार को जारी आरबीआई बुलेटिन अगस्त 2023 के अनुसार, चालू तिमाही के दौरान देश में खुदरा महंगाई एक बार फिर से 6 फीसदी के पार निकल सकती है. यह इस कारण चिंता जनक है कि रिजर्व बैंक के लिए खुदरा महंगाई की अपर लिमिट 6 फीसदी ही है. ऐसे में अगर खुदरा महंगाई फिर से उसके अपर लिमिट के बाहर जाती है तो रिजर्व बैंक को रेपो रेट को और बढ़ाने पर विचार करना पड़ सकता है.


इस कारण बदला महंगाई का ट्रेंड


आरबीआई बुलेटिन के अनुसार, थोक महंगाई के मोर्चे पर कुछ राहत मिलने के बाद भी सितंबर तिमाही में खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ज्यादा हो सकती है. रिजर्व बैंक का मानना है कि इसके पीछे खाने-पीने की चीजों के बढ़े दाम का सबसे ज्यादा योगदान होगा. उसने कहा है कि टमाटर की कीमतों में अप्रत्याशित तेजी का असर अन्य सब्जियों के भाव पर भी हुआ है.


मई के बाद फिर से बढ़ने लगी महंगाई


आपको बता दें कि इस साल मई महीने में खुदरा महंगाई 4.3 फीसदी के निचले स्तर तक कम हुई थी. उसके बाद टमाटर, अन्य सब्जियों, मसालों आदि के भाव बढ़ने से खुदरा महंगाई फिर से बढ़ने लग गई. जून में यह बढ़कर 4.81 फीसदी पर पहुंच गई. उसके बाद जुलाई में तो खुदरा महंगाई ने 15 महीनों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. अभी कुछ ही दिनों पहले जुलाई महीने के आंकड़े जारी हुए हैं और उसके हिसाब से महंगाई दर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई.


जुलाई में 15 महीने की सबसे ज्यादा महंगाई


चालू तिमाही में जुलाई पहला महीना है और पहले महीने खुदरा महंगाई की दर 7.44 फीसदी के स्तर को छू चुकी है. अभी टमाटर व अन्य सब्जियों के भाव कुछ नरम हुए हैं. इससे हो सकता है कि अगस्त और सितंबर के महीने में खुदरा महंगाई की दर जुलाई की तुलना में कुछ कम रहे, लेकिन ओवरऑल तिमाही में तब भी इसके 6 फीसदी से ज्यादा रहने की आशंका है.


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