RBI Monetary Policy: आरबीआई को यकीन, काम आया ये उपाय, मंहगाई को काबू करने में मिली मदद
RBI Inflation: रिजर्व बैंक ने पिछले साल मई में एक आपात बैठक कर रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया. उसके बाद लगातार 6 बार मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लिया गया.
पिछले महीने खुदरा महंगाई (Retail Inflation March 2023) की दर दो महीने के बाद फिर से रिजर्व बैंक के 6 फीसदी के दायरे में आ गई. जनवरी और फरवरी महीने के दौरान देश में खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ज्यादा रही थी. इस बारे में रिजर्व बैंक का मानना है कि मौद्रिक नीति (RBI Monetary Policy) में किए गए उपायों से महंगाई को काबू करने में मदद मिली है. हालांकि सेंट्रल बैंक का यह भी मानना है कि जब तक इसे 4 फीसदी से नीचे नहीं कर लिया जाता है, उसकी राह आसान नहीं रहने वाली है. रिजर्व बैंक ने ये बातें ताजी बुलेटिन (RBI Bulletin April 2023) में छपे एक आर्टिकल में की है.
बेकाबू हो गई थी महंगाई
केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को उपभोक्स मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर को 4 फीसदी पर रखने का लक्ष्य दिया है. इसके साथ महंगाई दर दो फीसदी तक ऊपर या नीचे रहने की गुंजाइश भी दी गई है. खुदरा महंगाई साल भर से ज्यादा समय से परेशानी का सबब रही है. पिछले साल आखिरी के दो महीने को छोड़ दें तो पूरे साल खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ज्यादा बनी रही थी.
खुदरा महंगाई से तय होती है नीति
खुदरा महंगाई की दर नवंबर और दिसंबर 2022 में 6 फीसदी से नीचे आने के बाद जनवरी 2023 में एक बार फिर से दायरे के पार निकल गई थी. फरवरी में भी खुदरा महंगाई 6 फीसदी से ज्यादा रही थी, लेकिन मार्च में यह फिर कुछ नरम हो गई. रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई की दर के आधार पर ही मौद्रिक नीति तय करता है. रेपो रेटमें बढ़ोतरी होगी या इसे स्थिर रखा जाएगा, यह बहुत हद तक खुदरा महंगाई पर निर्भर करता है.
मई 2022 से हुई शुरुआत
खुदरा महंगाई को काबू करने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले साल मई में एक आपात बैठक कर रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया. उसके बाद लगातार 6 बार मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला लिया गया. इस दौरान रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 250 बेसिस प्वाइंट यानी 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की.
10 महीने बाद लगा ब्रेक
मार्च महीने में खुदरा महंगाई की दर 5.66 फीसदी रही थी. यह पिछले 15 महीने में सबसे कम खुदरा महंगाई थी. इसके बाद जब अप्रैल में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हुई, तो रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया. इस तरह करीब 10 महीने के अंतराल के बाद रेपो रेट साइकिल पर ब्रेक लगा. रिजर्व बैंक का कहना है कि लगातार रेपो रेट बढ़ाने यानी मौद्रिक नीति को सख्त बनाने से खुदरा महंगाई की दर नियंत्रित हुई है.
आर्थिक वृद्धि को मिलेगी मदद
आर्टिकल में सेंट्रल बैंक ने कहा कि खुदरा महंगाई की दर अप्रैल 2022 में 7.8 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. उसके बाद मई 2022 से उसने रेपो रेट को बढ़ाना शुरू किया. इसका ही परिणाम है कि महंगाई दर मार्च 2023 में कम होकर 5.66 फीसदी पर आ गई है. रिजर्व बैंक का कहना है कि कीमतों में स्थिरता के टिकाऊ होने से आर्थिक वृद्धि को भी मदद मिलेगी.
ये भी पढ़ें: गलत है आईएमएफ का भारत की वृद्धि दर का अनुमान, रिजर्व बैंक को है ये आपत्ति