RBI Bulletin: बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई महीने के अपने मंथली बुलेटिन में खाद्य महंगाई में तेजी पर चिंता जाहिर की है. बुलेटिन के मुताबिक तीन महीने तक महंगाई दर में कमी आने के बाद जून 2024 में फिर से महंगाई में तेजी देखने को मिली है जिसके लिए सब्जियों की कीमतों में उछाल जिम्मेदार है जिसमें तेजी बनी हुई है.

  


आरबीआई के डिप्टी गवर्नर देवव्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने महंगाई को लेकर बुलेटिन में लिखा, ये तर्क दिया जाता है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई में तेजी अस्थाई है लेकिन पिछले एक साल के अनुभव से ये साबित नहीं होता है. महंगाई का ये झटका छोटी अवधि के लिए नहीं बल्कि लंबी अवधि के लिए रहा है.  


बुलेटिन में लिखे लेख के मुताबिक, ये स्पष्ट है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों ने हेडलाइन इंफ्लेशन को गति दी है और परिवारों की महंगाई की उम्मीदों को झटका लगा है. इससे मॉनिटरी पॉलिसी और सप्लाई मैनेजमेंट के जरिए कोर और फ्यूल इंफ्लेशन में जो कमी आई है उससे ज्यादा लाभ नहीं मिला है. लेख के मुताबिक महंगाई को लेकर अनिश्चितता को देखते हुए सीपीआई इंफ्लेशन को 4 फीसदी के टारगेट पर लाने के लक्ष्य पर बने रहना ही समझदारी होगी. दरअसल जून महीने के लिए खुदरा महंगाई दर का जो आंकड़ा घोषित हुआ है उसमें खाद्य महंगाई दर में उछाल के चलते  सीपीआई इंफ्लेशन 5.08 फीसदी रही है. 


आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही की शुरुआत अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेतों के साथ हुई है लेकिन महंगाई की चिंता बनी हुई है. अर्थव्यवस्था को लेकर लिखे लेख में के मुताबिक गा हया कि, जून 2024 की शुरुआत में नगदी के सरप्लस रहने के बाद दूसरे पखवाड़े में एडवांस टैक्स पेमेंट और जीएसटी भुगतान और सरकार की ओर से खर्च में सुस्ती के चलते नगदी की कमी देखने को मिली है. हालांकि 28 जून के बाद ये सरप्लस में आ गया. 


आरबीआई बुलेटिन के मुताबिक मार्च 2023 के खत्म होने तक घरेलू फाइनेंशियल एसेट्स जीडीपी का 135 फीसदी पर जा पहुंचा है जबकि फाइनेंशियल लायबिलिटी जीडीपी का 37.8 फीसदी रही है. जबकि नेट फाइनेंशियल वेल्थ जीडीपी का 97.2 फीसदी रहा है. कोविड महामारी के बाद फाइनेंशियल एसेट्स में उछाल के चलते मार्च 2020 से लेकर मार्च 2023 के बीच में नेट फाइनेंशियल वेल्थ में 12.6 फीसदी का इजाफा हुआ है. बुलेटिन में कहा गया कि ज्यादातर लोगों की संपत्ति हाउसिंग जैसे नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स में होता है जिसे लेख में शामिल नहीं किया गया है. 


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