DICGC Act: बीते दो महीनों में बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) की रेग्युलेटर आरबीआई ( RBI) ने दो को-ऑपरेटिव बैंकों ( Co-Operative Banks) का लाइसेंस रद्द किया है. अगस्त, 2022 में सबसे पहले आरबीआई ने रुपी को-ऑपरेटिव बैंक ( Rupee Co-Operative Bank) के बैंकिंग लाइसेंस को रद्द किया था. 22 सितंबर, 2022 से रूपी कॉपरोटिव बैंकों को ऑपरेशन बंद करना पड़ा है. तो गुरुवार 22 सितंबर को ही आरबीआई ने लक्ष्मी को-ऑपरेटिव बैंक ( Laxmi Co-Operative Bank) का भी बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि जिन खाताधारकों ने इन को-ऑपरेटिव बैंकों में अपनी गाढ़ी कमाई को डिपॉजिट कर रखा है आखिरकार उनका पैसा उन्हें वापस कब मिलेगा.
कैसे मिलेगा खाताधारकों-डिपॉजिटर्स का पैसा वापस
इन बैंकों के बैंकिंग लाइसेंस को रद्द किए जाने के बाद आरबीआई ने कहा है कि बैंक के हिसाब किताब करने के बाद सभी डिपॉजिटर्स को बैंकों में जमा उनके पैसे के आधार पर ज्यादा से ज्यादा 5 लाख रुपये तक की रकम बीमा राशि के तौर पर दी जाएगी. ये रकम डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ( DICGC)द्वारा डीआईसीजीसी एक्ट 1961 के तहत दी जाएगी. भले ही किसी डिपॉजिटर्स के बैंक में 5 लाख रुपये से ज्यादा रकम जमा हों लेकिन उन्हें बीमा राशि के तौर पर 5 लाख रुपये तक ही राशि दी जाएगी.
रुपी को-ऑपरेटिव बैंक के खाताधारकों को मिले रकम
बैंक द्वारा जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है उसके मुताबिक रुपी को-ऑपरेटिव बैंक के 99 फीसदी खाताधारकों को उनके जमा के बराबर पूरी राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन द्वारा दी जाएगी. 18 मई, 2022 तक डीआईसीजीसी ने 700.44 करोड़ रुपये रकम डिपॉजिटर्स को बीमा राशि के तौर पर दे दिए हैं.
क्या करता है DICGC
सेविंग, फिक्स्डस करंट और रेकरिंग जैसे सभी डिपॉजिट्स डीआईसीजीसी द्वारा अब बीमा किया जाता है. भले ही डिपॉजिटर्स के सेविंग खाते में या एफडी के तौर पर 5 लाख रुपये से ज्यादा डिपॉजिट हों लेकिन उन्हें केवल 5 लाख रुपये तक की बीमा राशि दी जाती है. अगर कोई बैंक दिवालिया हो जाता है. तो ऋृणशोधन (Liquidator) करने वाले के जरिए सभी डिपॉजिटर्स को 5 लाख रुपये तक की राशि DICGC द्वारा दी जाती है.
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