Card Tokenization Rules: एक जुलाई 2022 से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पूरा करने के लिए हर बार लिखना होगा डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर
1 जुलाई से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने पर हर बार नए सिरे से क्रेडिट-डेबिट कार्ड डिटेल लिखना होगा. 30 जून के बाद से ऑनलाईन पोर्टल ले लेकर ट्रेडर्स को कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलिट करना होगा.
RBI Extends Card Tokenization Deadline: एक जुलाई 2022 से पेमेंट एग्रीगेटर, पेमेंट गेटवे या फिर मर्चेंट अपने कस्टमर्स के डेबिट और क्रेडिट कार्ड का डाटा स्टोर नहीं कर पायेंगे. 30 जून के बाद सभी ऑनलाईन पोर्टल ले लेकर ट्रेडर्स को कस्टमर के डेबिट- क्रेडिट कार्ड का डाटा डिलिट करना होगा. पहले ये नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होना था लेकिन आरबीआई कार्ड टोकनाईजेशन डेडलाईन (RBI Card Tokenization Deadline) को 30 जून 2022 तक के लिये एक्सटेंड कर दिया था. नया नियम अब 1 जुलाई से लागू होगा. 1 जुलाई से पेमेंट एग्रीगेटर, पेमेंट गेटवे या फिर मर्चेंट को कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलिट करना होगा. आरबीआई ने सभी पेमेंट सिस्टम्स को 30 जून तक के लिए मोहलत दिया है.
हर बार एंट्री करना होगा डेबिट-क्रेडिट कार्ड डिटेल
1 जुलाई 2022 से अमेजन या फ्लिपकार्ट पर शॉपिंग करने या फिर नेटफ्लिक्स, Disney+ Hotstar को रिचार्ज करने के लिए कस्टमर को हर ट्रांजैक्शन करने पर 16 डिजिट का डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट, कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (CVV) को हर बार टाइप करना होगा.
देश में बढ़ते डिजिटल उपयोग में वृद्धि के साथ, अधिक से अधिक लोग होटल, दुकान या कैब बुक करने के लिए ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन डिजिटल दुनिया साइबर अपराधी उपयोगकर्ताओं के Data हथियाने के ताक में बैठे रहते हैं. लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने और ऑनलाइन भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी व्यापारियों और भुगतान गेटवे को डेबिट और क्रेडिट कार्ड डिटेल्स जो स्टोर किए गए हैं, उनको 30 जून को बाद हटाना होगा.
इसका क्या मतलब है?
आरबीआई के Card Tokenization Rules के लागू होने के बाद मर्चेंट और पेमेंट गेटवे को अपने सर्वर पर स्टोर की गई कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलीट करना होगा. इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता को मर्चेंट वेबसाइटों पर भुगतान करने के लिए कार्ड का पूरा विवरण दर्ज करना होगा. बैंकों ने अपने ग्राहकों को इन बदलावों के बारे में बताना शुरू कर दिया है.
टोकनाइजेशन क्या है?
मौजूदा नियम के मुताबिक, लेन-देन पूरा 16-डिजिट कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपाईरी डेट, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड या ओटीपी (कुछ मामलों में लेनदेन पिन भी) आधारित होता है. टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को क्षमता रखता है, जिसे “टोकन” कहा जाता है.
टोकनाइजेशन कैसे सुरक्षित है?
आरबीआई के अनुसार, टोकनयुक्त कार्ड लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि ट्रांजैक्शन के दौरान कार्ड डिटेल्स मर्केंट के साथ साझा नहीं किया जाता है. इसमें कस्टमर्स के कार्ड का डिटेल सेव नहीं किया जा सकता है. आरबीआई के मुताबिक टोकन को वापस वास्तविक कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन के रूप में जाना जाता है. ग्राहक को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा.
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