आरबीआई ने एचडीएफसी बैंक पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. रिजर्व बैंक ने 28 मई को बताया कि उसने एचडीएफसी बैंक पर दस करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. बैंक पर आरोप है कि उसने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के सेक्शन 6(2) का उल्लंघन किया है. आरबीआई ने अपने रेगुलेटरी अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए यह कार्रवाई की है.


व्हिस्ल ब्लोअर ने की थी शिकायत 


आरबीआई के एक व्हिस्ल ब्लोअर ने बैंक के ऑटो लोन पोर्टफोलियो में गड़बड़ी की शिकायत की थी. इस व्हिस्ल ब्लोअर ने आरोप लगाया था कि बैंक अपने ऑटो लोन ग्राहकों पर थर्ड पार्टी के नॉन-फाइनेंशियल प्रोडक्ट खरीदने का दबाव डालता है. इस शिकायत के बाद बैंक ने अपने छह कर्मचारियों को हटा दिया था. इसके साथ ही बैंक के ऑटो लोन चीफ अशोक खन्ना को इस्तीफा देना पड़ा था. आरबीआई ने भी बैंक के थर्ड पार्टी नॉन फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स से जुड़े दस्तावेजों की जांच की थी, जिसमें इस गड़बड़ी का पता चला था.  इसके बाद बैंक को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था और पूछा गया था कि क्यों उस पर जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए. 


ऑटो लोन ग्राहकों पर जीपीएस खरीदने का दबाव डाला जाता था


कारण बताओ नोटिस पर बैंक से मिले जवाब के बाद सुनवाई और दस्तावेजों की जांच के बाद आरबीआई इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि एचडीएफसी बैंक ने नियमों का उल्लंघन किया है. इसके बाद आरबीआई ने 28 मई को इस पर 10 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने का आदेश दिया. एचडीएफसी के ऑटो लोन पोर्टफोलियो पर आरोप है कि वह ग्राहकों को ऑटो लोन के साथ जीपीएस डिवाइस खरीदने के लिए मजबूर करता है.  यहां तक कि ग्राहक जब तक जीपीएस डिवाइस खरीदने को तैयार नहीं होते तब तक ऑटो लोन अप्रूव नहीं होता था. बाद में यह आरोप सच पाया गया और एचडीएफसी ने इस मामले से जुड़े अपने छह कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था. जांच में पता चला कि बड़े अधिकारियों के नजदीकियों की कंपनी में बने इस जीपीएस को खरीदने के लिए लोन ग्राहकों पर दबाव डाला जाता था. 


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