Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर ब्रेक, 1.15 बिलियन डॉलर के उछाल के साथ 585.89 अरब डॉलर रहा फॉरेक्स रिजर्व
RBI Data: डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती देखने को मिली है. रुपया एक डॉलर के मुकाबले 13 पैसे की मजबूती के साथ 83.13 के लेवल पर क्लोज हुआ है.
India Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट पर ब्रेक लग गया है. 13 अक्टूबर 2023 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.153 बिलियन डॉलर का उछाल आया है और बढ़कर 585.89 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है. इससे पहले हफ्ते के खत्म होने पर विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 584.75 बिलियन डॉलर पर आ गया था.
बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को विदेशी मुद्रा भंडार का डेटा जारी किया है. जिसके मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार 1.153 बिलियन डॉलर के उछाल के साथ बढ़कर 585.89 बिलियन डॉलर रहा है. विदेशी करेंसी एसेट्स में हालांकि गिरावट देखने को मिली है. विदेशी करेंसी एसेट्स 178 मिलियन डॉलर की कमी के साथ 519.351 बिलियन डॉलर रहा है. देश के गोल्ड रिजर्व का मूल्य 1.268 बिलियन डॉलर के उछाल के साथ 43.575 बिलियन डॉलर पर आ गया है. एसडीआर 72 मिलियन डॉलर की कमी के साथ 17.99 बिलियन डॉलर पर आ गया है. जबकि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड में रिजर्व 8 मिलियन डॉलर की कमी के साथ 4.975 बिलियन डॉलर रहा है.
भारतीय करेंसी रुपया के लिए शुक्रवार 20 अक्टूबर का दिन बेहद अच्छा रहा है. डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती देखने को मिली है. रुपया एक डॉलर के मुकाबले 13 पैसे की मजबूती के साथ 83.13 के लेवल पर क्लोज हुआ है. पिछले कई दिनों में डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखी जा रही थी.
वहीं आरबीआई के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बना हुआ है. इस हफ्ते शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों में जमकर बिकवाली की है. इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के चलते सेंटीमेंट बिगड़ा हुआ है जिसका असर दुनियाभर के शेयर बाजारों में देखा जा रहा है इससे भारतीय शेयर बाजार भी अछूता नहीं है. बीते दिन दिनों से भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली के चलते बड़ी बिकवाली देखने को मिली है.
दूसरी तरफ युद्ध के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भी उबाल बना हुआ है. कच्चा तेल 94 डॉलर प्रति बैरल के करीब 0.98 फीसदी के उछाल के साथ 93.36 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. कच्चे तेल में उछाल के चलते विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव देखने को मिल सकता है.
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