Loan Write-Off: बैंकों ने पिछले पांच वित्त वर्ष में 9.90 लाख करोड़ रुपये के लोन को राइट-ऑफ कर दिया है. सरकार ने राज्यसभा (Rajyasabha)) में प्रश्नकाल में ये जानकारी दी है. सरकार ने बताया कि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डेटा के मुताबिक, शेड्यूल कमर्शियल बैंकों ( SCB) ने पिछले पांच वित्त वर्षों में 9.90 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते (Loan Write-Off) में डाल दिया है जिसमें वो कर्ज भी शामिल है जो निजी संस्थाओं ने दिए हैं.
संजय सिंह ने एनपीए पर पूछे सवाल
राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रश्नकाल में वित्त मंत्री से बैंकों, वित्तीय संस्थानों जिसमें सरकारी बैंक भी शामिल है उनके द्वारा दिए गए लोन का डेटा देने को कहा जो पिछले पांच वर्षों में एनपीए हो गया. साथ ही उन्होंने राइट-ऑफ, हेयरकट के अलावा बैंकों द्वारा माफ किए गए कर्ज का डेटा भी साझा करने को कहा. उन्होंने वित्त मंत्री से पूछा, कुल लोन में एनपीए बने लोन में निजी संस्थाओं का कितना कर्ज माफ किया गया है. उन्होंने वित्त मंत्री से सवाल किया जो लोन एनपीए हो गए उसकी रिकवरी की सरकार की क्या योजना है और अब तक एनपीए बने लोन में से कितना लोन रिकवर किया जा चुका है.
13.17 लाख करोड़ रुपये का लोन बना NPA
इस प्रश्न का जवाब देते हुए वित्त राज्यमंत्री पकंज चौधरी ने कहा, भारतीय रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में बैंकों का 3,43,598 करोड़ रुपये का लोन एनपीए (NPA) हो गया. वित्त वर्ष 2020-21 में 2,55,760 करोड़ रुपये लोन एनपीए रहा था. वित्त वर्ष 2021-22 में 2,85,686 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022-23 में 2,13,588 लाख करोड़ रुपये, और 2023-24 में 2,18,404 करोड़ रुपये एनपीए हो गया. यानि पिछले पांच वित्त वर्ष में 13,17,036 लाख करोड़ रुपये को लोन एनपीए में तब्दील हो गया.
ग्रॉस एनपीए में लोन की रिकवरी!
वित्त राज्यमंत्री ने बताया, एनपीए और जिस लोन को बट्टे खाते में डाला गया उसकी रिकवरी पर नजर डालें तो वित्त वर्ष 2019-20 में ग्रॉस एनपीए का 15.8 फीसदी, 2020-21 में कुल एनपीए का 12.8 फीसदी, 2021-22 में कुल एनपीए का 16.5 फीसदी, वित्त वर्ष 2022-23 में ग्रॉस एनपीए का 21.5 फीसदी, और 2023-24 में ग्रॉस एनपीए का 21.6 फीसदी लोन की रिकवरी करने में सफलता मिली है.
राइट-ऑफ का मतलब कर्ज माफी नहीं
वित्त राज्यमंत्री ने कहा, आरबीआई के गाइडलाइंस और जो पॉलिसी बैंकों के बोर्ड ने मंजूर किया है उसके मुताबिक एनपीए के चार सालों के बाद फुल प्रॉविजनिंग कर बैंकों से बैलेंसशीट से हटाकर लोन को राइट-ऑफ कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि, बैंक अपने बैलेंसशीट की सफाई करने के लिए लोन को राइट-ऑफ करते हैं. लेकिन लोन राइट-ऑफ का मतलब ये नहीं है कि कर्ज माफ कर दिया जाता है. उन्होंने बताया कि, राइट-ऑफ से कर्ज लेने वालों को कोई लाभ नहीं होता है. जिन लोगों ने लोन लिया है उनसे लोन की रिकवरी की प्रक्रिया जारी रहती है.
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