Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम डी पात्रा (RBI deputy governor) ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर (GDP growth rate) अनुमान के मुताबिक 9.2 फीसदी रहने के बावजूद महामारी-पूर्व स्तर से केवल एक फीसदी ही ऊपर होगी. उन्होंने कहा कि इसके साथ मुद्रास्फीति के संतोषजनक स्तर पर होने से केंद्रीय बैंक उदार मौद्रिक नीति रुख बरकरार रख सकता है.


2017 से आ रही GDP में गिरावट
आरबीआई के मौद्रिक नीति विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले पात्रा ने यह साफ किया कि देश में जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट 2017 में यानी महामारी से पहले ही शुरू हो गयी थी. देश को उत्पादन के मोर्चे पर 15 फीसदी का नुकसान हुआ है. इसके कारण लोगों की आजीविका अलग प्रभावित हुई.


जनवरी में रिकॉर्ड पर पहुंची महंगाई
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि मुद्रास्फीति को काबू में लाने को लेकर उठाये जाने वाले कदमों के मामले में देश पीछे है और दूसरे देशों में नीतिगत दरों में वृद्धि की जा रही है. पात्रा ने कहा कि महंगाई दर जनवरी में उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. आरबीआई के पास अपने हिसाब से कदम उठाने का अधिकार है.


भारत की स्थिति संतोषजनक 
पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित सालाना एशिया आर्थिक वार्ता में उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है, भारत की स्थिति संतोषजनक है. इसके साथ, हमारे पास वृद्धि को आगे बढ़ाने को लेकर कदम उठाने की गुंजाइश है और हम यह करना जारी रखेंगे क्योंकि हमें उत्पादन का नुकसान हुआ है, लोगों ने रोजगार गंवाया है.’’


सकल मुद्रस्फीति दिसंबर तिमाही में आएगी 4 फीसदी पर
पात्रा ने कहा कि जनवरी में सकल मुद्रस्फीति 6.01 फीसदी के उच्च स्तर पर रही और यह कम होकर आरबीआई के लक्ष्य के अनुसार दिसंबर तिमाही में चार फीसदी पर आ जाएगी. उन्होंने आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि 2020 में महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से 2020-21 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में करीब एक चौथाई की गिरावट आयी. पेरू के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी सबसे प्रभावित अर्थव्यवस्था थी.


दुनिया की सबसे बड़ी मंदी से बाहर निकले हम
पात्रा ने कहा कि वित्तीय प्रोत्साहन के साथ हमने स्वयं को दुनिया की सबसे बड़ी मंदी से बाहर निकाल लिया है. उन्होंने कहा कि महंगाई दर का ऊंचा स्तर मुख्य रूप से तुलनात्मक आधार की वजह से है लेकिन मासिक आधार पर इसमें कमी आ रही है. पात्रा ने कहा, ‘‘इससे हमें उदार रुख के साथ नीतिगत दर को निचले स्तर पर बरकरार रखने का मौका मिला है. इससे हम पुनरुद्धार को गति देने में पूरा ध्यान देने में सक्षम हुए हैं.’’


दुनिया के सभी देशों का है अलग रुख
उन्होंने इस बात को स्वीकार कि भारत का मौद्रिक नीति को लेकर रुख दुनिया के अन्य देशों से अलग है, जहां केंद्रीय बैक या तो नीतिगत दर बढ़ा रहे हैं या इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं. हालांकि, पात्रा ने कहा कि ग्लोबल स्तर पर महंगाई दर 2022 के मध्य में उच्चतम स्तर पर होगी जबकि मौद्रिक नीति कदमों का प्रभाव आने में एक साल का समय लगता है, जिसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का वांछित परिणाम आने के बजाय पुनरुद्धार प्रभावित होगा.


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