नई दिल्लीः आज क्रेडिट पॉलिसी में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बिना बदलाव के 6.25 फीसदी पर बरकरार रखा और रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी पर रखा. वहीं सीआरआर में भी कोई बदलान न करते हुए इसे 4 फीसदी पर ही स्थिर रखा है. जनता ने आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी में सस्ते कर्ज की उम्मीदें लगा रखी थीं पर आरबीआई ने दरों में कोई बदलाव ना करके सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फेर दिया. आज बुधवार को लिए गए फैसले में मौद्रिक समीक्षा समिति (एमपीसी) के 5 सदस्यों ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने के पक्ष में मतदान किया, जबकि एक सदस्य इसके खिलाफ थे.



देश के केंद्रीय बैंक ने लगातार चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा (क्रेडिट पॉलिसी) में रेपो या रिवर्स रेपो रेट की ब्याज दरों को पहले जैसा रखा है. इससे पहले साल 2016 के अक्टूबर में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी की थी, तब से यह 6.25 फीसदी पर ही बनी हुई है. वहीं अप्रैल में की गई अपनी पिछली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन रिवर्स रेपो रेट को बढ़ा कर 6 फीसदी किया था.


जानिए आरबीआई की क्रेडिट पॉलिसी की बडी बातें




  • आरबीआई ने एसएलआर 0.5 फीसदी घटाकर 20 फीसदी किया है और उर्जित पटेल के मुताबिक सिस्टम में लिक्विडी बढ़ाने के लिए एसएलआर घटाया गया है. एसएलआर की नई दरें 24 जून से लागू होंगी

  • हालांकि आरबीआई ने एमएसएफ (मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी) रेट दर बिना बदलाव के 6.5 फीसदी पर बरकरार रखी है.

  • रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि (जीवीए ग्रोथ) अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 7.3 फीसदी किया.

  • रिजर्व बैंक ने 2017-18 की पहली छमाही के लिये महंगाई 2 से 3.5 फीसदी और दूसरी छमाही में 3.5 से 4.5 फीसदी के दायरे में रहने का अनुमान जताया है.

  • एमपीसी का रिटेल महंगाई 4 फीसदी रखने का लक्ष्य है.


रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक के मिलेजुले प्रयासों से आर्थिक विकास दर को गति देने में मदद मिलेगी. कृषि कर्ज माफी से राजकोषीय स्थिति पर दबाव बढ़ सकता है और राजकोषीय घाटे को लेकर पिछले 2 साल में जो काम किया गया यह उसे बेकार कर सकता है. जीएसटी लागू होने का असर महंगाई पर नहीं पड़ेगा, लेकिन किसान कर्ज माफी से वित्तीय घाटा बढ़ सकता है. मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक कल शुरू हुई थी और 21 जून को एमपीसी के मिनट्स जारी किए जाएंगे. एमपीसी की अगली बैठक के लिए 1-2 अगस्त की तारीख तय की गई है.



क्यों नहीं घटाई आरबीआई ने दरें
आरबीआई के मुताबिक अप्रैल में महंगाई के आंकडें उम्मीद से ज्यादा रहे हैं. बढ़ती महंगाई और धीमी ग्रोथ से दरें घटाना मुमकिन नहीं था. वित्त वर्ष 2018 की पहली छमाही में महंगाई दर 2-3.5 फीसदी जबकि वित्त वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में महंगाई दर 3.5-4.5 फीसदी रहने का अनुमान है.