RBI Dividend: भारत सरकार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से मिलने वाले डिविडेंड को लेकर खबर आई है. अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में आरबीआई से भारत सरकार को मिलने वाला डिविडेंड पिछले वित्त वर्ष यानी FY24 जितना ही रह सकता है या उससे थोड़ा ही ज्यादा रह सकता है. इस मामले की जानकारी रखने वाले 2 लोगों ने इस बात की जानकारी दी है. आरबीआई से केंद्र को डिविडेंड आम तौर पर मई में जारी किया जाता है.
आर्थिक समाचार पोर्टल लाइवमिंट में छपी खबर के मुताबिक जहां आरबीआई से मिलने वाले डिविडेंड को लेकर कोई खास उत्साहजनक खबर नहीं है. वहीं पब्लिक सेक्टर के बैंकों को लेकर अच्छे संकेत मिल रहे हैं. मामले से परिचित लोगों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में पब्लिक सेक्टर बैंक (PSBs) से केंद्र सरकार को मिलने वाला डिविडेंड पिछले वित्त वर्ष की तुलना में ऊंचा रहने वाला है. इसके पीछे मुख्य रूप से राज्यों के बैंकों का मुनाफा पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहने को कारण माना जाएगा.
PSBs का मुनाफा बढ़ा
वित्त वर्ष 2024 की पहली तीन तिमाही में राज्य नीत बैंकों का मुनाफा 98,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया था और ये वित्त वर्ष 2024 के अंत तक 1.3 खरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है. वित्त वर्ष 2024 के दौरान, सरकार ने आरबीआई, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों से 48,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड का अनुमान लगाया था जो कि 17 फीसदी ज्यादा डिविडेंड रहा था. वित्त वर्ष 2024 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का डिविडेंड पेआउट लगभग 15,000 करोड़ रुपये रहा था.
इन लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "केंद्र को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2015 के दौरान आरबीआई से डिविडेंड इनकम पिछले साल की तुलना में समान स्तर पर या थोड़ी ज्यादा रहेगी. वित्त वर्ष 2025 के दौरान पीएसबी से डिविडेंड की रकम 15,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होने की उम्मीद है"
पिछली बार कैसा रहा था आरबीआई का डिविडेंड
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2023 के लिए केंद्र सरकार को सरप्लस के तौर पर 87,416 करोड़ रुपये के ट्रांसफर के साथ इस लक्ष्य को पार कर लिया गया था. हालांकि इसका पेमेंट मई 2023 में किया गया था और सरकार ने वित्त वर्ष 2024 में इसका हिसाब दिया था.
सरकार को है पहले से अच्छे डिविडेंड का अनुमान
फरवरी में पेश किए गए वोट ऑन अकाउंट बजट में कहा गया है कि सरकार को वित्त वर्ष 2025 में आरबीआई और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों से 1.02 ट्रिलियन डिविडेंड की उम्मीद है. हालांकि इसको लेकर कोई ब्रेकअप नहीं दिया गया था. इसके अलावा अनुमान है कि आरबीआई और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों का वास्तविक डिविडेंड वित्त वर्ष 2015 के दौरान बजटीय लक्ष्यों से ज्यादा हो सकता है. इससे केंद्र को अपने राजकोषीय घाटे के मार्ग पर बने रहने में मदद मिलेगी और वित्त वर्ष 2015 में राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी या उससे भी बेहतर तक लाया जा सकेगा.
आरबीआई के सामने है चुनौती
अमेरिकी डॉलर की हालिया मजबूती की वजह से आरबीआई की तरफ से विदेशी मुद्रा की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में काफी कम हो गई है और इससे इस मोर्चे पर संभावित इनकम में कमी देखी गई है. हालांकि वित्त मंत्रालय और आरबीआई के प्रवक्ताओं ने ईमेल से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया है.