Credit Debit Card Tokenisation: आरबीआई ने  एक बार फिर कार्ड टोकनाईजेशन डेडलाईन (RBI Card Tokenisation Deadline) को 30 सितंबर,2022 तक के लिए बढ़ा दिया है. 1 जुलाई से पेमेंट एग्रीगेटर, पेमेंट गेटवे या फिर मर्चेंट को कस्टमर के कार्ड का डाटा डिलिट करना था लेकिन आरबीआई ने सभी पेमेंट सिस्टम्स को 30 सितंबर तक के लिए मोहलत दिया है. 


दरअसल 30 जून 2022 के बाद से पेमेंट एग्रीगेटर, पेमेंट गेटवे या फिर मर्चेंट अपने कस्टमर्स के डेबिट और क्रेडिट कार्ड का डाटा स्टोर करने पर मनाही थी. 30 जून के बाद सभी ऑनलाईन पोर्टल ले लेकर ट्रेडर्स को कस्टमर के डेबिट- क्रेडिट कार्ड का डाटा डिलिट करना था. पहले ये नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होना था लेकिन आरबीआई ने कार्ड टोकनाईजेशन डेडलाईन (RBI Card Tokenisation Deadline) को 30 जून 2022 तक के लिये एक्सटेंड कर दिया था. लेकिन आरबीआई ने इस डेडलाइन को 30 सितंबर, 2022 तक बढ़ाने का फैसला किया है.  
 
हर बार एंट्री करना होगा डेबिट-क्रेडिट कार्ड डिटेल
आरबीआई कार्ड टोकनाईजेशन (RBI Card Tokenisation) के लागू होने के बाद अमेजन या फ्लिपकार्ट पर शॉपिंग करने या फिर नेटफ्लिक्स, Disney+ Hotstar को रिचार्ज करने के लिए कस्टमर को हर ट्रांजैक्शन करने पर 16 डिजिट का डेबिट-क्रेडिट कार्ड नंबर, एक्सपाइरी डेट, कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (CVV) को हर बार टाइप करना होगा.  


देश में बढ़ते डिजिटल उपयोग में वृद्धि के साथ, अधिक से अधिक लोग होटल, दुकान या कैब बुक करने के लिए ऑनलाइन भुगतान का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन डिजिटल दुनिया साइबर अपराधी उपयोगकर्ताओं के Data हथियाने के ताक में बैठे रहते हैं. लोगों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने और ऑनलाइन भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी व्यापारियों और भुगतान गेटवे को कस्टमर्स के डेबिट और क्रेडिट कार्ड डिटेल्स जो स्टोर किए गए हैं, उनको कार्ड टोकनाईजेशन के लागू होने के बाद ङटाना होगा. 


टोकनाइजेशन क्या है?
मौजूदा नियम के मुताबिक, 16-डिजिट कार्ड नंबर, कार्ड की एक्सपाईरी डेट, सीवीवी और वन-टाइम पासवर्ड या ओटीपी (कुछ मामलों में लेनदेन पिन भी) के आधार पर लेन-देन के ट्रांजैक्शन को पूरा किया जाता है.  टोकनाइजेशन वास्तविक कार्ड नंबर को एक वैकल्पिक कोड के साथ बदलने को क्षमता रखता है, जिसे “टोकन” कहा जाता है. आरबीआई के मुताबिक, टोकनयुक्त कार्ड लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि ट्रांजैक्शन के दौरान कार्ड डिटेल्स मर्केंट के साथ साझा नहीं किया जाता है. इसमें कस्टमर्स के कार्ड का डिटेल सेव नहीं किया जा सकता है. आरबीआई के मुताबिक टोकन को वापस वास्तविक कार्ड विवरण में बदलने को डी-टोकनाइजेशन के रूप में जाना जाता है. ग्राहक को इस सेवा का लाभ उठाने के लिए कोई चार्ज नहीं देना होगा. 


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